उत्तराखंड

जोशीमठ के लिए केन्द्र की तर्ज पर बने विस्थापन की नीति

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चमोली : जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने शंकराचार्य मठ में बैठक कर प्रदेश सरकार से अविलंब जोशीमठ नगर के लिए एक विशेष विस्थापन एवं पुनर्वास नीति बनाने की मांग की। संघर्ष समिति ने भारत सरकार की विस्थापन एवं पुर्नवास नीति 2007 को ही जोशीमठ के परिपेक्ष में लागू करने की मांग की है। साथ ही जोशीमठ नगर के इतने बड़े भू-भाग को डेंजर जोन में किस वैज्ञानिकी अध्ययन के आधार पर रखा गया है उस रिपोर्ट को भी सार्वजनिक किया जाए।
शुक्रवार को आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि 14 महीने से अधिक का समय हो गया है लेकिन सरकार द्वारा अभी तक यह नहीं बताया जा रहा है कि नगर वासियों को एक साथ कहां विस्थापित किया जायेगा। यदि पूरे नगर का विस्थापन होना है तो नया जोशीमठ शहर कहां बसेगा और कब अस्तित्व में आयेगा। आरोप लगाया कि सरकार एवं उसकी मशीनरी मात्र खानापूर्ती कर रही है व अभी तक सीबीआरआई द्वारा जिन 190 मकानों में जनवरी 2023 में रेड क्रास लगाये गए थे उनमें से भी सभी का भुगतान नहीं हो पाया है। संघर्ष समिति ने मांग की है कि सरकार यह बताये कि प्रभावितों की डेन्जर जोन वाली भूमि का अधिगृहण किस मूल्य में कब तक हो पायेगा व जो भूमि सेफ जोन में नगर वासियों की बच जाएगी उसे सरकार किस मूल्य पर अधिगृहित करेगी। संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार ने कहा कि पिछले 14 महीने में सरकार क्या करने जा रही है कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा है और नगरवासी काफी तनाव में हैं। संयोजक अतुल सती और प्रवक्ता कमल रतूड़ी ने कहा कि क्या कारण है कि केन्द्र से पैसा रिलीज होने के 2 माह बाद भी अभी तक नगर का ट्रीटमेंट शुरू नहीं हो पाया है। बैठक में निर्णय हुआ कि 24 फरवरी को तहसील में सांकेतिक धरना दिया जायेगा। बैठक में संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार, संयोजक अतुल सती, कमल रतूड़ी, भुवन उनियाल, मीना डिमरी, प्रदीप भट्ट आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)

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