जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को लेकर समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी ने जिले को गैर-संवेदनशील, संवेदनशील और अति-संवेदनशील क्षेत्रों में विभाजित कर कार्य योजना तैयार करने पर जोर दिया। डीएम ने वन्यजीव संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित कर अलर्ट मोड में रखने, गुलदार और अन्य खतरनाक वन्यजीवों के दिखने पर आपदा नियंत्रण कक्ष में तुरंत सूचना देने को कहा। उन्होंने ग्राम स्तर पर सूचना व चेतावनी प्रणाली को सक्रिय करते हुए हर मृत्यु की गहन जांच के लिए एक ऑडिट प्रणाली विकसित करने के निर्देश अफसरों को दिए।
एनआईसी कक्ष में आयोजित बैठक में डीएम स्वाति एस भदौरिया ने वन्यजीवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और विश्लेषण के जरिए हमलों के पैटर्न को भी समझने, पशुओं पर हुए हमलों के आंकड़ों का संग्रहण, उनका वर्गीकरण और बायो-फेंसिंग जैसे उपायों को लागू करने को कहा। डीएम ने जागरुकता कार्यक्रमों में राजस्व विभाग के पटवारियों को शामिल कर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय मजबूत करने के निर्देश भी दिए। बैठक में डीएफओ गढ़वाल ने बताया कि पौड़ी जिला मानव-वन्यजीव संघर्ष की दृष्टि से अति संवेदनशील श्रेणी में आता है, जहां हर साल औसतन 9 से 10 लोगों की मौत होती है। संघर्ष के मुख्य कारणों में गुलदार, बाघ, भालू, हाथी, बंदर और सांप जैसे वन्यजीवों की सक्रियता प्रमुख है। डीएम ने संवेदनशील क्षेत्रों में सोलर लाइटें लगाने के लिए प्रस्ताव तैयार करने, स्कूलों में जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को क्या करें और क्या न करें की जानकारी देने के निर्देश दिए। बैठक में एडीएम अनिल गब्र्याल, डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरुद्ध, सिविल सोयम पवन नेगी, अधीक्षण अभियंता जल संस्थान प्रवीण सैनी, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड लोनिवि रीना नेगी आदि शामिल रहे।