डीएम का हस्तक्षेप, आईसीआईसीआई बैंक ने घर जाकर दिया नो ड्यूज

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देहरादून()। प्रशासन की पहल से पारिवारिक जिम्मेदारी तले दबी महिला का ऋण माफ किया गया है। प्रशासन की सख्ती के बाद आईसीआईसीआई ने घर जाकर महिला के कागजात लौटाए हैं और उन्हें नो ड्यूज सर्टिफिकेट घर जाकर सौंपा है। जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता शोभा रावत पत्नी स्व. मनोज रावत ने डीएम सविन बंसल को शिकायत की थी। बताया कि उनके पति की मौत हो चुकी है।उनके 02 बच्चे हैं जिसमें एक बालक शत प्रतिशत् दिव्यांग है। बताया कि पति ने आईसीआईसीआई बैंक से 17 लाख के लोन का ऋण बीमित प्रक्रिया पूरी करने के बाद लिया था। पति की मौत के बाद अब बैंक द्वारा वसूली के लिए महिला व दिव्यांग बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है। जिलाधिकारी बंसल ने उप जिलाधिकारी न्याय कुमकुम जोशी को कार्यवाही के निर्देश दिए थे। डीएम के निर्देश पर पिछले 10 दिन से एसडीएम न्याय निरंतर प्रकरण को फोलोअप कर रही थीं तथा बैंक को सोमवार तक नो ड्यूज देने का समय दिया गया था। ऐसा नहीं करने बैंक शाखा की सम्पत्ति कुर्क कर नीलामी करने के निर्देश दिए गए थे। डीएम के हस्तक्षेप के बाद बैंक प्रबंधन ने घर जाकर पीड़ित परिवार को नो ड्यूज के साथ ही सम्पत्ति के कागज वापस लौटाए। — यह लोन लिया था शिकायतकर्ता के अनुसार आईसीआईसीआई बैंक शाखा से 10,00,000 तथा 7,00,000 लोन लिया था।शोभा के पति मनोज रावत की मृत्यु 30 अक्टूबर 2024 को हो गयी थी। दो बच्चे हैं जिनमें एक बिटिया पढ़ाई करती है तथा बेटा 100 प्रतिशत दिव्यांग है। बैंक द्वारा पति की मृत्यु के उपरांत इंश्योरेंस की क्लेम राशि 13,20,662 की धनराशि को लोन की धनराशि में समायोजित किया गया तथा लगभग 5,00,000 की धनराशि जमा की जानी अवशेष है। महिला केअनुसार उसका आय का कोई साधन नहीं है। उसका एक पुत्र जो 24 साल का है जो बोलने चलने में असमर्थ है।

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