नई दिल्ली। नौकरी की चाहत में अमेरिका गए युवाओं का लाखों रुपया खर्च भी हो गया और उन्हें कष्ट व अपमान झेलकर स्वदेश भी लौटना पड़ रहा है। यह सिर्फ इसलिए कि वह अवैध प्रवासन कराने वाले गिरोह के चंगुल में फंसकर ‘डंकी रूट’ से विदेश गए।
एनएसडीसी इंटरनेशनल देशभर में दस इंटरनेशनल एकेडमी और आवश्यकता अनुरूप लैंग्वेज लैब खोलने जा रही है। डंकी रूट पकड़ने की बजाए यदि युवा इन संस्थानों से प्रशिक्षण लेंगे तो उनके लिए कई देशों में नौकरियों के अवसर तैयार हैं। दस एकेडमी खोलने की तैयारी है जिसमें बहुत मामूली फीस के साथ प्रशिक्षण दिया जाएगा।
80 लाख रुपये तक खर्च कर दिए
हाल ही में अमेरिका से डिपोर्ट किए गए युवा जिस तरह की आपबीती सुना रहे हैं, वह पीड़ा पहुंचाने वाली है। इन युवाओं ने 70 से 80 लाख रुपये तक खर्च कर दिया, यातनाएं झेलीं और अंतत: वापस खाली हाथ लौटना पड़ा। आखिर क्यों? इस प्रश्न का प्रत्यक्ष उत्तर यही है कि गिरोह के नेटवर्क की पहुंच संभवत: सरकार की योजनाओं-कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार से कहीं अधिक है।
22 देशों के साथ समझौता करार
यह युवा निश्चित ही नहीं जान सके होंगे कि एनएसडीसी इंटरनेशनल ने विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर अध्ययन कराया कि किन-किन देशों में किस सेक्टर में भारतीय युवाओं की कितनी मांग है।
इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि 2021 में स्थापित किए गए एनएसडीसी इंटरनेशनल ने 22 देशों के साथ समझौता करार करते हुए अब तक 88924 नौकरियों के अवसर तैयार किए।
64 हजार युवाओं को कई देशों में नौकरी के लिए भेजा
फिर उसी के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर बीते चार वर्ष में ही 64 हजार युवाओं को विभिन्न देशों में नौकरी के लिए भेजा जा चुका है। एनएसडीसी के सीईओ व एनएसडीसी इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक वेद मणि तिवारी ने बताया कि युवा स्किल असेसमेंट सेंटरों में जाकर अपने कौशल के बारे में खुद जान सकते हैं। वह यह जानकारी ले सकते हैं कि किस देश में किस ट्रेड की नौकरियां हैं।