कोटद्वार-पौड़ी

परियोजना कार्यों को परियोजना तक ही सीमित न रखें : डॉ. असलम

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जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित हिमालयन बायो रिसोर्स मिशन के अन्तर्गत जड़ी बूटियों के कृषिकरण एवं संरक्षण हेतु किए जा रहे कार्यों की प्रगति का भारत सरकार के वरिष्ठ सलाहकर डा. मोहम्मत असलम ने निरीक्षण व समीक्षा की। इस दौरान डा. असलम ने कहा की परियोजना कार्यों को केवल परियोजना तक ही सीमित न रखें बल्कि एक मिशन के तौर पर लेकर कार्य करें। जिससे हमारा बायो रिसोर्स स्थानीय लोगों की इनकम का जरिया बन सके। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हो पाता है तो लोगों को रोजगार अपने ही गांवों में मिलने से पलायन की समस्या का हल मिल जायेगा।
परियोजना कार्यों की समीक्षा के दौरान हैप्रेक के निदेशक, प्रो. एमसी. नौटियाल, वानिकी विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रो. अजीत नेगी, पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके मैखुरी, झंडू फाउन्डेशन के डा. रमेश उनियाल, डा. बीके बिष्ट, डा. जितेंद्र बुटोला, डा. लक्ष्मण कंडारी, डा. बबिता पाटनी, डा. विजय लक्ष्मी एवं डा. विजय पाल सिंह भण्डारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डा. असलम को विवि की कुलपति प्रो. अनपूर्णा नौटियाल की ओर से अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। हैप्रेक के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. विजय कांत पुरोहित द्वारा बताया गया कि वरिष्ठ सलाहकार को फील्ड विजिट में बनियाकुंड फील्ड स्टेशन का भ्रमण भी करवाया गया। उन्होंने कहा कि बायो रिसोर्स मिशन परियोजना के अन्तर्गत अतीश, मांसी, चिरायता, तुलसी, वन तुलसी, फरण, चूरू, लैवेंनडर, गोलथिरिया के कृषिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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