संपादकीय

संदिग्ध प्रवेश परीक्षाएं

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देश की प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षाएं सवालों के घेरे में खड़ी होती जा रही हैं जिसे लेकर युवाओं में अपने भविष्य को लेकर भी भ्रम की स्थिति बन रही है। हाल ही में नीट की परीक्षा विवादों में चढ़ चुकी है जिस पर अब एक के बाद एक कई खुलासे सामने आ रहे हैं। छात्रों के तमाम आरोप सीधे तौर पर यह प्रदर्शित कर रहे हैं की नीट की परीक्षा का पेपर लीक हुआ है जिस कारण परीक्षा परिणाम काफी चौका देने वाला निकला है। इधर देश में अभी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट पेपर लीक का बवाल खत्म नहीं हुआ था, अब यूजीसी नेट का पेपर लीक हो गया है इसके बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पुनः विवादों में है। लगातार फैसियत होने के बाद आखिरकार शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी नेट परीक्षा को कैंसल करके इसकी जांच सीबीआई को देने का फैसला किया है, यानी कहीं ना कहीं सरकार भी यह मान चुकी है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और इस प्रकार के आरोप के बाद एक बार केंद्रीय एजेंसी से जांच करानी बेहद जरूरी है ताकि पर्दे के पीछे छिपे “जयचंदों” की पहचान हो सके। अब से पहले भी परीक्षाएं होती थी लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एनटीए के बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं थी। इधर नीट के पेपर में धांधली के बाद एनटीए भी चर्चाओं एवं विवादों में आ खड़ी हुई। इस संस्था की स्थापना साल 2017 में हुई थी। पेपर की सुरक्षा की जिम्मेदारी एनटीए के अधीन है और एनटीए ये परीक्षा ऑनलाइन सर्वर के माध्यम से आयोजित करता हैं। इस बार यूजीसी नेट का पेपर जिस तरीके से ऑफलाइन मोड में हुआ था, ऐसे पेपरों को एग्जाम से पहले अलग-अलग सेंटरों के स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। जाहिर है सुरक्षा के लिहाज से इन स्ट्रांग रूम में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित होता है और पेपर भी सुरक्षाकर्मी की तैनाती कर हमेशा सील करके रखा जाता है। एग्जाम से पहले परीक्षा अधिकारी अन्य सुरक्षा अधिकारियों के साथ स्ट्रांग रूम खोलकर पेपरों का वितरण कराते हैं और ये सुनिश्चित करते हैं कि एग्जाम से पहले पेपर की सील कोई ना खोले। बोर्ड की परीक्षाओं से लेकर यूनिवर्सिटी एवं दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं तक में सुरक्षा की यह तकनीक अपनी जाती है, लेकिन इस बार एनडीए खुद कटघरे में खड़ी नजर आ रही है। एनटीए के पास नीट और नेट के अलावा कई महत्वपूर्ण परीक्षाएं करवाने की जिम्मेदारी है। एनटीए की किसी भी एग्जाम पेपर को तैयार करने के लिए सबसे पहले विषय सबंधित विशेषज्ञ तैयार करते हैं। इसके बाद उनसे सवालों के बैंक तैयार किए जाते हैं। इसके बाद टेस्ट डवलपमेंट कमेटी इसकी जांच करती है और फिर पेपर लिखे जाते हैं। पेपर लिखे जाने के बाद भी इसकी जांच होती है. तथा फाइनल पेपर बनते हैं। इतनी लीक प्रूफ व्यवस्था होने के बावजूद यदि लाखों करोड़ों छात्रों के साथ खिलवाड़ हो रहा है तो निश्चित तौर पर इसके पीछे कोई ना कोई बड़ा संगठन काम कर ही रहा है। यूजीसी नेट को लेकर यदि सीबीआई जांच की मंजूरी दी जा सकती है तो फिर सरकार आखिर क्यों मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं को लेकर केंद्रीय एजेंसी से जांच करने का साहस नहीं जुटा पा रही है? नीट परीक्षा को लेकर पूरे देश में उधम मचा हुआ है और सत्ता – विपक्ष के बीच बयानों का दौर भी शुरू हो चुका है। इस सबके बीच उन लाखों छात्रों का भविष्य अंधकार में है जिन्होंने दिन-रात मेहनत कर अच्छे अंकों की आशा की थी लेकिन परीक्षाओं में गड़बड़ी के कारण ऐसे कई मेधावी छात्र श्रेष्ठता सूची में आने से रह गए।

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