आतंकियों से संबंध रखने वाला कारावास विभाग का डीएसपी, स्कूल का प्रिंसिपल सेवामुक्त
श्रीनगर, एजेंसी। सरकारी तंत्र में बैठे आतंकियों के मदद्गारों और धर्मांध जिहादी तत्वों के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखते हुए जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार ने सोमवार को एक जेल उपाधीक्षक और एक स्कूल प्रिंसिपल को बर्खास्त कर दिया है।
बीते चार माह के दौरान प्रदेश सरकार सरकारी विभागों में छिपे बैठे सफेदपोश देशद्रोहियों के खिलाफ अपने अभियान के तहत करीब दो दर्जन सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को भारतीय संविधान के अनुच्टेद 311 (2)(सी) के तहत सेवा मुक्त कर घर भेज चुकी है।आज सेवामुक्त किए गए जेल उपाधीक्षक का नाम फिरोज अहमद लोन है और स्कूल प्रिंसिपल का नाम जावेद अहमद शाह है। जावेद अहमद शाह दक्षिण कश्मीर में जिला अनंतनाग के बीजबेहाड़ा स्थित गवर्नमेंट गल्र्ज हायर सैकेंडरी स्कूल में तैनात था।
संबधित अधिकारियों ने बताया फिरोज अहमद लोन को वर्ष 2012 के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर कारावास विभाग में बतौर उपाधीक्षक नियुक्त किया गया था। वह जेल में अपने पद और प्रतिष्ठा का दुरुपयोग कर आतंकियों की मदद करता थाद्घ। वह जेल में बंद आतंकियों की उनके ओवरग्राउंड वर्करों के साथ बैठकों का बंदोबस्त करने के अलावा नए आतंिकयों की भर्ती का भी बंदोबस्त भी करता था। वह हिजबुल मुजाहिदीन के नेटवर्क का एक सक्रिय सदस्य था और उसने कई युवकों को आतंकी ट्रेनिंग के लिए गुलाम कश्मीर भेजने में सक्रिय भूमिका निभाई है। वह मई 2020 में मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू के लिए काम करता था।
उन्होंने बताया कि जेल में बंद हिजबुील मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी इसहाक पाला से मिलने के लिए दक्षिण कश्मीर के बराबंदिना लित्तर पुलवामवा का दानिश गुलाम लोन और डोगरीपोरा अवंतीपोर का सोहले अहमद बट आए थे। इन दोनों को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू ने भेजा था। जेल अधिकारियों ने मुलाकात की अनुमति देने से पूर्व दानिश और सोहेल से जब कुछ सवाल किए तो वह सही जवाब नहीं दे पाए। जेल अधिकारियों ने दोनों को मुलाकात की अनुमति नहीं दी। इसके बाद इसहाक पाला ने जेल उपाधीक्षक फिरोज अहमद लोन से संपर्क किया।
लोन ने अपने पद और प्रतिष्ठा का इस्तेमाल करते दानिश व सोहेल की मुलाकात को सुनिश्चित बनाने के लिए न सिर्फ उन दोनों के लिए पास जारी कराए बल्कि वह खुद बाहरी गेट तक उन्हें खुद लेने गया। इसके बाद वह उन्हें इसहाक पाला तक ले गया। इसी बैठक के बाद दानिश व सोहेल आतंकी ट्रेनिंग के लिए गुलाम कश्मीर जाना था। गुलाम कश्मीर में उनकी ट्रेनिंग और पाकिस्तान के लिए वीजा का बंदोबस्त इसहाक पाला ने जेल में बैठे अपने नेटवर्क के जरिए किया था। दानिश व सोहेल पाकिस्तान जा पाते,उससे पहले पुलिस को अपने तंत्र से इस साजिश का पता चल गया और दोनों पकड़े गए। फिर फिरोज अहमद लोन की असलियत का भी खुलासा हो गया।उन्होंने बताया कि पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू कश्मीर में जेलों को आतंकियों और राष्ट्रद्रोही तत्वों का स्वर्ग माना जाता रहा है। सभी इस तथ्य को जानते हैं कि जेल में बैठे आतंकी मोबाइल टेलीफोन और अन्य माध्यमों से जम्मू कश्मीर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय अपने साथियों के साथ ही नहीं गुलाम कश्मीर बैठे अपने हैंडलरों के साथ भी लगातार संपर्क में रहते हुए आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। जेल में आतंकियों की मदद करने में फिरोज अहमद लोन जैसी काली भेड़ें अहम भूमिका निभाती रही हैं॥