भारत में बदलेगा ‘ई-स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का सूरतेहाल, राष्ट्रीय स्तर पर मिलने जा रही मान्यता

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नई दिल्ली , इस माह ड्राफ्ट रूल्स जारी होने के साथ ‘ई-स्पोर्ट्सÓ को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता मिलने जा रही है। यह मसौदा भारतीय ई-गेमिंग के परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल सकता है।
ई-स्पोर्ट्स को ‘द प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग रूल्स 2025Ó के अंतर्गत लाकर अब विशेष रूप से युवा मामले और खेल मंत्रालय के तहत विनियमित किया जाएगा। यह व्यवस्था ई-स्पोर्ट्स को जुए के साथ होने वाले भ्रम और नियामक अव्यवस्था से बाहर निकालकरएक स्पष्ट पहचान देगी। इसके साथ ही, एक ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी ईस्पोर्ट्स टाइटल्स को रजिस्टर करेगी। यह अथॉरिटी नियमों का पालन सुनिश्चित करेगी और शिकायतों का निपटारा करेगी। देखा जाए तो, अब ई-स्पोर्ट्स को वही प्रशासनिक ढांचा मिला है, जो क्रिकेट या हॉकी में देखने को मिलता है।
अब ई-स्पोर्ट्स को कौशल-आधारित, प्रतिस्पर्धी गतिविधि के रूप में माना जाएगा, जो किसी फैंटेसी या किस्मत पर आधारित गेम से अलग है। यानी जुए से जुड़े टाइटल्स बाहर रहेंगे। वहीं, मान्यता प्राप्त ई-स्पोर्ट्स टाइटल्स को सरकारी संरक्षण, वित्तीय पोषण अवसर और आधिकारिक खेल आयोजनों के रूप में आयोजित किए जाने का अधिकार मिलेगा। ई-स्पोर्ट्स इवेंट्स और टाइटल्स का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, ताकि उन्हें आधिकारिक मान्यता, सरकारी सहयोग और मीडिया अधिकारों की सुरक्षा मिल सके। ई-स्पोर्ट्स को जुए से स्पष्ट रूप से अलग किया गया है। नियमों में साफ कहा गया है कि सट्टेबाजी से जुड़े खेलों को नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस एक्ट, 2025 के तहत ईस्पोर्ट्स का दर्जा नहीं मिलेगा। ड्राफ्ट नियम जल्द ही ‘गजट ऑफ इंडियाÓ में अधिसूचित किए जाएंगे। ऐसा होते ही ई-स्पोर्ट्स एक हाशिए पर खड़ी इंडस्ट्री से बदलकर पूरे सरकारी समर्थन वाले खेल के रूप में उभरेगा। भले ही यह सफर तुरंत पूरा नहीं होगा, लेकिन दिशा अब बिल्कुल साफ है।
अब तक भारत में ई-स्पोर्ट्स एक ग्रे-एरिया में फल-फूल रहा था। प्राइज पूल बढ़ रहे थे, टीमें बन रही थीं, ब्रांड्स स्पॉन्सर कर रहे थे, लेकिन औपचारिक मान्यता नहीं थी। खिलाड़ी ‘एथलीटÓ नहीं माने जाते थे और टूर्नामेंट्स खेल कानून के तहत संरक्षित नहीं थे। अब यह स्थिति पूरी तरह बदलेगी।

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