राजधानी दून में लग रहा अतिक्रमण का ग्रहण

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– ना मुख्य मार्गों के फुटपाथ खाली हैं और ना बाजारों में पैर रखने की जगह .. सब अतिक्रमण से ग्रसित
देहरादून(। राजधानी दून में सड़क-फुटपाथ पर पसरे अतिक्रमण से निजात नहीं मिल पा रही है। नगर निगम, पुलिस और प्रशासन समय-समय पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर कार्रवाई का दावा तो करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत उनके सारे दावों की पोल खोलती है। टीम के लौटते ही अतिक्रमणकारी फिर से सड़क और फुटपाथ पर कब्जा जमा लेते हैं। सड़कों और फुटपाथों पर पसरे अतिक्रमण ने शहर की सांसें घोंट दी हैं। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ गायब हो गए हैं और सड़कें ठेली-रेहड़ियों व दुकानदारों के कब्जे में हैं। हालात यह हैं कि दून में जाम का सबसे बड़ा कारण अतिक्रमण ही बन चुका है। ना मुख्य मार्गों के फुटपाथ खाली हैं और नाहीं बाजारों में पैर रखने की जगह। अभियान के नाम पर सिस्टम की खानापूर्ति और आमजन की फजीहत भी बदस्तूर जारी है। न सिर्फ बाजार, बल्कि शहर की लगभग हर मुख्य सड़क अतिक्रमण से ग्रसित है। फुटपाथों पर मरम्मत वर्कशाप तक चल रहे हैं। कहीं होटल-ढाबे फुटपाथ पर ही चूल्हा-भट्टी जला देते हैं तो कहीं अस्थायी दुकानें स्थायी कब्जे का रूप ले चुकी हैं। घंटाघर से आइएसबीटी तक माडल रोड बनाने के सपने दिखाए गए थे, लेकिन सालों बाद भी हकीकत उलटी है। नतीजा, भीड़भाड़ के बीच पैदल चलना दूभर और वाहनों की आवाजाही थम-सी जाती है। महिलाओं और बुजुर्गों के हादसों का शिकार होने की आशंका लगातार बनी रहती है। कई बार यहां पैदल चलने वालों को वाहनों के टक्कर मारने के मामले भी आते रहते हैं।
पिछले कुछ महीनों में नगर निगम ने कार्रवाई जरूर की, कई ठेलियां जब्त कीं और चालान भी काटे। लेकिन, कार्रवाई महज़ खानापूर्ति साबित हुई। जैसे ही टीम लौटती है, अतिक्रमणकारी फिर सड़क पर लौट आते हैं। पुलिस की ओर से भी कोई ठोस पहल नहीं होती।
दून की सड़कों पर करीब 25 हजार रेहड़ी-ठेलियां कब्जा जमाए हुए हैं, जिनमें से 99 प्रतिशत अवैध हैं। नगर निगम ने जिन ठेलियों को लाइसेंस दिया है, उनकी संख्या हजार से भी कम है। पर सवाल फिर वही खड़ा है कि यह अवैध ठेलियां किसकी शह पर दिन-दहाड़े सड़कों पर कब्जा जमाए हुए हैं?

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