नई दिल्ली , प्रवर्तन निदेशालय (श्वष्ठ) ने दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक और बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने सत्येंद्र जैन से जुड़ी 7.44 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (क्करूरु्र) के तहत की गई है। इसके साथ ही इस मामले में अब तक जब्त की गई कुल संपत्ति का आंकड़ा 12.25 करोड़ रुपये पहुंच गया है।
श्वष्ठ की यह जांच ष्टक्चढ्ढ द्वारा 24 अगस्त, 2017 को दर्ज की गई एक स्नढ्ढक्र पर आधारित है, जिसमें सत्येंद्र जैन पर मंत्री रहते हुए (फरवरी 2015 से मई 2017) आय से अधिक संपत्ति बनाने का आरोप है।
जांच में सामने आया कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के ठीक बाद, सत्येंद्र जैन के करीबी सहयोगियों, अंकुश जैन और वैभव जैन ने दिल्ली के बैंक ऑफ बड़ौदा की भोगल शाखा में 7.44 करोड़ रुपये नकद जमा किए थे। यह पैसा इनकम डिस्क्लोजर स्कीम (ढ्ढष्ठस्) के तहत एडवांस टैक्स के रूप में भरा गया था। उन्होंने दावा किया था कि यह पैसा उनकी चार कंपनियों – अकिंचन डेवलपर्स, प्रयास इंफोसोल्यूशंस, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स और इंडो मेटल इम्पेक्स से आया है।
हालांकि, आयकर विभाग और अदालतों ने अपनी जांच में पाया कि ये कंपनियां असल में सत्येंद्र जैन की ही हैं और अंकुश व वैभव जैन सिर्फ उनके बेनामी के तौर पर काम कर रहे थे। इस फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी, और अंकुश व वैभव की सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
श्वष्ठ ने यह जानकारी ष्टक्चढ्ढ को भी दी थी, जिसके आधार पर ष्टक्चढ्ढ ने एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर जैन की बेनामी संपत्ति का आंकड़ा और बढ़ा दिया था। श्वष्ठ इससे पहले 31 मार्च, 2022 को इसी मामले में 4.81 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है। अब इस नई कार्रवाई के बाद जब्त की गई कुल संपत्ति 12.25 करोड़ रुपये हो गई है, जिसे पूरी तरह से सत्येंद्र जैन द्वारा कथित तौर पर अर्जित अवैध संपत्ति माना जा रहा है।