किताबों में कमीशन का खेल, कार्रवाई के नाम पर शिक्षा विभाग फेल: यशपाल

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देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में किताब-कॉपियों में कमीशन का खेल चल रहा है, जबकि शिक्षा विभाग कार्रवाई के नाम पर फेल साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि नए शैक्षणिक सत्र में फीस, स्कूल ड्रेस से लेकर कॉपी-किताब तक महंगी हो गई हैं। इसका सीधा असर अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है। महंगाई की चैतरफा मार ने आम आदमी की जिंदगी बेहद मुश्किल कर दी है। शनिवार को मीडिया को जारी बयान में आर्य ने कहा कि स्कूल खुलते ही शिक्षा माफिया ने बच्चों के परिजनों की जेबों पर डाका डालना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों की ओर से उनके मनचाहे प्रकाशकों की कापी किताबें लेने के लिए परिजनों पर दबाव बनाया जाता रहा है। स्कूल वाले हर दो-तीन साल में बुक और उसके पब्लिशर्स बदल देते हैं ताकि आप बड़े भाई-बहनों की किताबों का इस्तेमाल ना कर पाएं।आर्य ने कहा कि मनमाने दामों पर किताब कॉपी और ड्रेस बेच कमिशन कमाने वाले स्कूल माफिया पर सरकार क्यों मौन है। इस बात की जांच होनी चाहिए कि प्राइवेट स्कूल बच्चे को किस कीमत पर किताब दे रहे हैं और सरकारी स्कूल में वही किताब किस दर पर मिलती है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकारी स्कूल में शिक्षक नहीं है, इसलिए आम गरीब को मजबूरी में प्राइवेट स्कूलों में जाना पड़ता है। शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि आम गरीब को कर्जा लेकर अपने बच्चों को पढ़ाना पड़ता है। बच्चों को स्कूल से ही महंगी कॉपी, किताबें, यूनिफार्म इत्यादि खरीदने के लिए बोला जाता है। विभिन्न मदों में अनाब शनाब पैसे वसूले जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस लूट पर चुप्पी साधे हुई है। इसलिए शिक्षा पूरी तरह से व्यापार बन गई है।

शिक्षा के नाम पर बंद हो लूट
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए की शिक्षा व्यवस्था का मूल उद्देश्य बच्चों को सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए, न कि उनके अभिभावकों पर आर्थिक दबाव डालना ! यह जरूरी है कि किताबों के बाजार में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जाए।

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