नवनिर्मित ध्रुवपुर पुल पर भी मंडराने लगे संकट के बादल, बचाने के प्रयास जारी
कुछ माह पूर्व ही किया गया था सुखरो नदी पर बने इस पुल का लोकार्पण
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : ध्रुवपुर से कण्वाश्रम को जोड़ने के लिए सुखरो नदी पर बने गए नवनिर्मित पुल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। उक्त पुल भी कब नदी की भेंट चढ़ जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में अब सरकारी सिस्टम पुल को बचाने की जद्दोजेहद में जुट गया है।
कुछ माह पूर्व ही ध्रुवपुर से कण्वाश्रम को जोड़ने वाले पुल का लोकार्पण किया गया था। लेकिन, मंगलवार को हुई बारिश के दौरान सुखरो नदी पर बने इस पुल को खतरा पैदा होने लगा है। नदी में बहकर आए विशाल वृक्षों के कारण नदी का बहाव पुल की एप्रोच रोड की तरफ हो गया है। साथ ही पुल के मध्य में स्थित एक पिलर पर भी खतरा मंडरा रहा है। नदी से हुए कटाव के कारण पिलर का प्लेटफार्म नजर आने लगा है। यदि नदी पुन: विकराल रुप में आती है तो नदी पिलर की बुनियाद को नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि, लोक निर्माण विभाग की ओर से नदी में पोकलैंड मशीन उतार नदी की दिशा बदलने की कवायद तेज कर दी गई है। विभाग नदी के रूख को बदलने की तैयार कर रहा है। वहीं, सुखरो नदी में बाढ़ सुरक्षा दीवार ढहने के बाद सिम्मलचौड़ मोहल्ले को भी खतरा पैदा हो गया है। सुखरो नदी के तटीय इलाके में लगातार भू-कटाव का दौर जारी है। नदी के तट पर बनाई गई सुरक्षा दीवार के पीछे के खेत नदी ने अपने आगोश में ले लिए हैं। भू-कटाव से सत्तीचौड़ में पांच से अधिक भवनों को खतरा पैदा होने लगा है। ऐसे में यदि सरकारी सिस्टम ने सुखरो नदी में बाढ़ सुरक्षा प्रबंध नहीं किए तो सत्तीचौड़ व सिमलचौड़ में भारी नुकसान हो सकता है।