रंग ला रहा प्रयास, रिवर्स पलायन रोकने के लिए संजीवनी बना चाई ग्रामोत्सव
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : पर्वतीय क्षेत्रों में रिवर्स पलायन के मद्देनजर ग्रामोत्सव अभियान बेहद प्रभावी सिद्ध हो रहा है। इसके असर से पहाड़ के अनेक गांव ग्रीष्म काल में प्रवासियों की आमद से गुलजार होने लगे हैं। बंद मकानों की खिड़की, दरवाजे खुलने लगे हैं। गांव में उत्सव का माहौल बनने से नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ने लगी है।
एक विकास माडल के रूप में पहाड़ में ग्रामोत्सव शुरू करने वाले लेखक व शिक्षक डा. पद्मेश बुड़ाकोटी के अनुसार इस अनूठे अभियान की शुरूआत वर्ष 2010 में पौड़ी गढ़वाल जिले के चाई गांव से हुई। जहां इस बार लगातार चौदहवां चाई ग्रामोत्सव आयोजित किया गया। चाई गांव से प्रेरित होकर इस बार ग्रीष्मकाल के मई व जून माह में राज्य के 95 विकासखंडों के करीब पांच सौ गांवों में ग्रामोत्सव भातृ-परिवार मिलन व देव पूजन के वृहत कार्यक्रम आयोजित हुए। जिसके माध्यम से देश-विदेश के महानगरों में बसे हजारों प्रवासियों ने अपने गांव में दस्तक दी और पलायन से खाली पड़े पहाड़ी गावों में चहल-पहल लौट आई है। अध्येता व सामाजिक कार्यकर्ता डा. बुड़ाकोटी ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्र के गांवों में ग्रामोत्सव तेजी से संस्कृति संरक्षण तथा विकास का माडल बनने लगा है। आज हजारों लोग इस अभियान के जरिए अपने-अपने गांव से जुड़ कर गांव बचाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं। कई गांव में विकास कार्यो की समग्र योजना बनने लगी है। आस्था केंद्र सज संवर रहे हैं। प्रवासी लोग उत्सव की खातिर गांव लौट रहे हैं। अपना घर आंगन ठीक कर रहे हैं। घर-घर में शौचालय स्नानघर का निर्माण हो रहा है। वार्षिक उत्सव व सांस्कृतिक समागम से सामाजिकता सद्भाव व संवद्र्धन हो रहा है। लोक भाषा गढ़वाल-कुमाऊंनी के प्रति लोगों का अनुराग बढ़ रहा है। डा. बुड़कोटी के अनुसार ग्रामोत्सव अभियान पहाड़ के जितने ज्यादा गांव में पहुंचेगा ग्राम विकास का कार्य उतना ही अधिक प्रभावी होगा। गावों से पलायन की रफ्तार भी कम होगी। यह ग्राम पर्व पहाड़ के गांवों को जीवंतता प्रसाद करेगा।