गढ़वाल सीट पर चुनावी संग्राम: कांग्रेस का भौकाल, मोदी भरोसे भाजपा
मतदान नजदीक आते ही गढ़वाल सीट पर दिलचस्प होने लगा चुनावी संग्राम
कांग्रेस ने अंकिता भंडारी हत्याकांड, मूल निवासी, अग्निवीर योजना सहित अन्य मुद्दे उठाएं
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : लोकसभा मतदान की तिथि नजदीक आते ही गढ़वाल सीट पर चुनावी संग्राम बड़ा दिलचस्प होने लगा है। एक ओर जहां भाजपा स्टार प्रचारक व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे चुनावी जंग जीतने का इंतजार कर रही है वहीं, कांग्रेस धरातल पर पहुंचकर अंकिता भंडारी, अग्निवीर योजना व मूल निवास जैसे कई स्थानीय मुद्दों को हवा दे रही है। कुछ दिन पूर्व पौड़ी में नामांकन के दौरान हुई भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों की जनसभाएं भी मतदाताओं के बीच खूब चर्चा का विषय बनी हुई है। एक ओर जहां भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी के समर्थन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, सांसद तीरथ सिंह रावत, पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक व प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम सहित गढ़वाल के तमाम मंत्रियों व विधायकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। वहीं, अगले दिन कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने अकेले के दम पर समर्थकों की भारी भीड़ जुटाकर भाजपा की टेंशन बढ़ा दी। जबकि वर्तमान में गढ़वाल सीट की 14 विधानसभा सीटों में भाजपा के विधायक हैं। जिसमें से श्रीनगर विधायक व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत, चौबट्टाखाल विधायक एवं लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद रहें। नामांकन के दौरान जुटी भीड़ व समर्थन को मतदान में बलदने के लिए कांग्रेस ने जद्दोजेहद करनी शुरू कर दी है। ऐसे में जनता किस प्रत्याशी पर अपना अधिक भरोसा जताती है इसका निर्णय चार जून को ही होगा।
पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 14 सीटें आती हैं। ये 14 सीटें उत्तराखंड के पांच जिलों चमोली, पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल, रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल में फैली हुई हैं। इस लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों में बदरीनाथ, कर्णप्रयाग, थराली, रामनगर, चौबट्टाखाल, कोटद्वार, लैंसडाउन, पौड़ी, श्रीनगर, यमकेश्वर, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग और नरेंद्रनगर शामिल है। हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज नेता देने वाली इस सीट पर 1991 से लेकर अब तक अधिकांश भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व रहा है। 2019-24 तक तीरथ सिंह रावत, 2014-2019 तक भुवन चंद्र खंडूडी व 2009-14 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सतपाल महाराज इस सीट पर विजयी रहे। यही नहीं 1998 से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े भुवनचंद्र खंडूडी अलग-अलग कार्यकाल में पांच बार इसी सीट पर सांसद रहे। सातवीं लोकसभा चुनाव में गढ़वाल संसदीय सीट उस वक्त काफी चर्चा में रही, जब हेमवती नंदन बहुगुणा ने कांग्रेस का दामन छोड़ कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इससे पूर्व पहले लोकसभा से चौथे लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस के भक्तदर्शन इस सीट से सांसद रहे। जबकि, पांचवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रताप सिंह नेगी इस सीट से सांसद रहे थे। 1977 में जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा इस सीट से सांसद बने। 1984 में कांग्रेस आई और 1989 में जनता दल से चंद्रमोहन सिंह नेगी लगातार दो बार इस सीट से सांसद बने। 14वीं लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए टीपीएस रावत इस सीट से सांसद बने। ऐसे में इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी व कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा है। दोनों पार्टियों के दिग्गजों के बीच चुनावी जंग तेज हो रही है। भाजपा के अनिल बलूनी केंद्र व प्रदेश सरकार के विकास कार्यों को गिनवा रहे हैं तो चुनाव में कांग्रेस अंकिता भंडारी हत्याकांड, अग्निवीर व मूल निवास जैसे मुद्दों को खूब उछाल रही है। कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल का कहना है कि भाजपा के स्टार प्रचारक दिल्ली से पहुंच रहे हैं। लेकिन, उनके स्टार प्रचार गढ़वाल की जनता है। उनकी यह बात नामांकन के दिन भी देखने को मिली। जहां भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में बड़े-बड़े नेता मंच पर दिखाई दिए। वहीं, गणेश गोदियों के मंच पर कोई भी बड़ा नेता नजर नहीं आया। गणेश गोदियाल के जोशीले भाषण ने जनता को उनकी ओर काफी आकर्षित किया।
स्थानीय मुद्दें पकड़ रहे तूल
गढ़वाल सीट पर अब तक मोदी फेक्ट कहीं भी नजर नहीं आ रहा। धरातल पर जनता स्थानीय मुद्दों को ही अधिक महत्व दे रही है। गणेश गोदियाल जहां जमीनी नेता हैं और पूर्व के विधायक भी हैं तो उन्हें इस बात का फायदा इस सीट पर मिल सकता है। उनकी छवि चुनावी संग्राम में भीड़ जुटाने में बेहतर साबित हो रही है। चुनाव में गणेश गोदियाल ने अपनी छवि के दम पर महौल तो बनाया है।
यह उठ रहे मुद्दें
भारती जनता पार्टी पीएम मोदी के काम गिनवाए जा रही है, जिसमें राम मंदिर, सैनिक से जुड़े मुद्दे, चारधाम प्रोजेक्ट, रेल प्रोजेक्ट, अनिल बलूनी के राज्यसभा रहते हुए किए गए काम शामिल हैं। जबकि कांग्रेस सभी जगह जाकर अग्निवीर योजना, बाहरी उम्मीदवार, अंकिता हत्याकांड, विपक्ष को नोटिस और जेल, पलायन बेरोजगारी को लेकर जनता के बीच पहुंच रही है। बरहाल, जनता किसके सिर पर जीत का ताज पहानती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अभी तो गढ़वाल सीट पर मुकाबला काफी रोचक होता जा रहा है।