चुनाव अपराधों में हो सकती है छह वर्ष तक की सजा

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काशीपुर। चुनावों में विभिन्न उम्मीदवार तथा उनके समर्थक विभिन्न गंभीर अपराध करते हैं। इसमें न केवल जेल की सजा हो सकती हैं बल्कि उन्हें चुनाव लड़ने तथा वोट डालने तक के लिये अयोग्य घोषित किया जा सकता है। ऐसे अपराधों का मुकदमा चुनावों में मतदान, यहां तक परिणाम घोषित होने के बाद भी दर्ज कराया जा सकता है। चुनाव सम्बन्धी कानून, नगर निगम चुनाव कानून तथा नगर पालिका चुनाव कानून सम्बन्धी पुस्तकों सहित 45 कानूनी पुस्तकों के लेखक नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उक्त जानकारी चुनाव सम्बन्धी अपराधों की जानकारी देते हुए दी।01 जुलाई 2024 में लागू भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 के अन्तर्गत धर्म, जाति, क्षेत्र भाषा आदि के आधार पर नफरत फैलाने पर तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है।चुनाव में प्रभाव डालने के लिये यह अपराध करने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के अन्तर्गत तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है। इस प्रकार चुनाव के समय यह अपराध करने पर छह वर्ष तक की सजा हो सकती है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 के अन्तर्गत दण्डनीय चुनाव अपराधों में धारा 173 के अन्तर्गत एक वर्ष तक की सजा से दण्डनीय चुनाव में वोट डालने, न डालने आदि के लिये धन, इगम, वस्तु, स्वागत सत्कार लेना या देना, धारा 174 में दण्डनीय फर्जी मतदान करना, धारा 175 के अन्तर्गत नुकसान पहुंचाने की धमकी या धार्मिक पाप या अप्रसाद का विश्वास दिलाकर किसी के मत मे वोट डालने या न डालने आदि के लिये शामिल है।

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