देहरादून। विद्युत नियामक आयोग के आदेश ने बढ़ाया यूपीसीएल का बिजली संकट शॉर्ट टर्म बिजली खरीद की मंजूरी नहीं, अब मिड टर्म एग्रीमेंट पर भी फंसा पेंच देहरादून, मुख्य संवाददाता। उत्तराखंड में इस बार सर्दियों में बिजली का संकट खड़ा होना तय है। उत्तराखंड को इस बार केंद्र से बिजली का अतिरिक्त कोटा आवंटित नहीं हुआ है। ऊपर से 500 मेगावाट थर्मल पावर खरीद को भी उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उलझा दिया है। आयोग ने ऐसा आदेश कर दिया है, जिससे अब यूपीसीएल के लिए 500 मेगावाट थर्मल पावर का करार करना आसान न होगा। आयोग ने शॉर्ट टर्म बिजली खरीद को प्रतिबंधित कर रखा है। अब मिड टर्म और लांग टर्म पावर परचेज में भी पेंच फंसा दिया है। यूपीसीएल के लिए सर्दियों का समय बेहद संवेदनशील रहता है। इस समय यूजेवीएनएल के पावर प्लांट से बिजली उत्पादन न्यूनतम छह से आठ मिलियन यूनिट तक पहुंच जाता है। जबकि पीक टाइम में यही उत्पादन 26 एमयू तक रहता है। इस तरह सर्दियों में 20 एमयू बिजली राज्य स्तर पर ही शॉर्ट रहती है। इसकी भरपाई केंद्र के कोटे और बाजार से की जाती है। इस बार 30 सितंबर को केंद्र का अतिरिक्त कोटा खत्म होने के बाद बढ़ा नहीं है। ऐसे में पूरा दारोमदार 2029 तक के लिए खरीदी जाने वाली 500 मेगावाट थर्मल पावर पर ही था। इस पावर को लेकर आयोग स्तर पर जो आदेश हुआ है, वो बेहद चौंकाने वाला है। आयोग ने इतने प्रतिबंध के साथ मंजूरी दी है, जो एक तरह से प्रस्ताव खारिज करने के समान ही है। आयोग ने न बिजली खरीद की मात्रा और न ही रेट फिक्स किया। उल्टा प्रतिबंध लगा दिया है कि यदि यूपीसीएल खरीदी हुई बिजली का इस्तेमाल नहीं कर पाता है, तो वो उसे संरेडर नहीं कर सकेगा। न ही उसे बाजार में बेच सकेगा। इससे यूपीसीएल पर जो भी वित्तीय भार पड़ेगा, उसे वो सालाना टैरिफ में शामिल भी नहीं करवा सकेगा। आयोग के इस ताजा आदेश से यूपीसीएल में हड़कंप मचा हुआ है। एमडी यूपीसीएल अनिल कुमार ने बताया कि आयोग के फैसले का परीक्षण किया जा रहा है। सभी पहलुओं की पड़ताल के बाद आगे प्रक्रिया बढ़ाई जाएगी। पूरा प्रयास किया जाएगा कि आम जनता को किसी भी तरह सर्दियों में बिजली संकट का सामना न करना पड़े। बिजली जुटाने में छूटेंगे पसीने आयोग के ताजा आदेश के बाद बदले हालात में यूपीसीएल के लिए सर्दियों में बिजली जुटाना आसान न होगा। आयोग के रवैये ने यूपीसीएल को बुरी तरह उलझा दिया है। यूपीसीएल शॉर्ट टर्म पावर परचेज कर नहीं सकता और मिड टर्म, लांग टर्म के प्रस्ताव को आयोग मंजूरी दे नहीं रहा है। राज्य का अपना बिजली उत्पादन इस लायक है नहीं की मांग पूरी कर सके। ऐसे में सर्दियों में यूपीसीएल के पसीने छूटने तय हैं। महंगी गैस पावर को दी थी 25 साल की मंजूरी मिड टर्म और लांग टर्म पावर परचेज एग्रीमेंट पर पेंच फंसाने वाला विद्युत नियामक आयोग खुद 2014 में महंगी गैस पावर खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुका है। यूपीसीएल को प्रति यूनिट 7.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होता है। बिजली सप्लाई न होने पर भी फिक्स चार्ज के नाम पर हर महीने करोड़ों का भुगतान भी करना होता है। हमेशा इस भुगतान पर सवाल खड़े होते रहे हैं। आम जनता पर भारी पड़ते यूईआरसी के फैसले यूईआरसी की ओर से पिछले कुछ समय में तीन फैसले ऐसे आए हैं, जो आम उपभोक्ताओं पर भारी पड़े हैं। गामा गैस पावर, ग्रीनको बुद्धहिल, हिम ऊर्जा कंपनी के पक्ष में दिए गए फैसले से यूपीसीएल पर 788 करोड़ का भार पड़ा है। जिसका सीधा असर बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।