सेमिनार में हिमालयी क्षेत्रों की जैवविविधता के बचाने पर दिया जोर
नई टिहरी। पीजी कलेज में जंतु विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान की ओर से नेशनल कांफ्रेंस अन कंजर्वेशन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट अफ हिमालयन वाटर एंड इकोसिस्टम इन उत्तराखंड पर आयोजित सेमिनार के समापन पर वक्ताओं ने हिमालयी क्षेत्र की जैवविविधता के अस्तित्व को बचाने पर जोर दिया। कहा हिमालय की जैवविविधता बचना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
नई टिहरी पीजी कलेज में आयोजित दो सेमीनार के समापन पर मुख्य अथिति महानिदेशक यूकस्ट उत्तराखंड ड़ आरपी डोभाल ने हिमालयी क्षेत्र के तालाबों, पोखरों, ताल और बुग्याल को संरक्षित किये जाने की बात कही। कहा मनुष्य ने विकास के नाम पर हिमायल की जैवविविधता के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है, जिसका संरक्षण जरुरी है। सहायक निदेशक यूकस्ट ड़डीपी उनियाल ने कहा कि हिमालय में तापमान बढ़ने के कारण सदैव जमै रहने वाले हिमनंदों का आकार छोटा होता जा रहा है, जिसके कारण हिमालय में कई झीलें बन रही हैं,जो भविष्य में बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं। ड़ एसपी सती ने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बन रही जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से भूगर्भीय एवं पर्यावरणीय आपदाएं आ रही है, हिमालयी क्षेत्र में सुनियोजित विकास होना चाहिए, ताकि हिमालय और उसके आसपास का क्षेत्र सुरक्षित रह सके। दो दिवसीय सेमीनार में 65 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। मौके पर प्राचार्या ड़ रेनू नेगी, ड़क कविता काला, ड़ आशा डोभाल, ड़ वीपी सेमवाल, ड़ आरती खंडूरी, ड़एएम पैन्यूली,ड़ सुमन गुसाईं,ड़ डीएस तोपवाल, ड़ सतेंद्र ढौंडियाल, ड़ पुष्पा पंवार, ड़ संजीव नेगी, ड. गुरुपद गुसाईं, ड़ पदमा वशिष्ठ, ड़ तौफीक अहमद, वंदना आदि मौजूद थे।