नई दिल्ली , इंजीनियर अतुल सुभाष की मां अंजू देवी को अपने पोते की कस्टडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चा अपनी मां निकिता सिंघानिया के साथ ही रहेगा। अदालत ने अंजू देवी की याचिका को खारिज करते हुए उन्हें निचली अदालत में कस्टडी की मांग के लिए जाने की छूट दी है।अंजू देवी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि निकिता और उसके परिवार ने अतुल को झूठे केस में फंसाकर पैसों के लिए परेशान किया, जिसके चलते उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी। उन्होंने यह भी कहा था कि निकिता का परिवार बच्चे को खोजने में बाधा डाल रहा है और वह उसके साथ सुरक्षित नहीं है।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति साईश चंद्र शर्मा की पीठ ने अंजू देवी की याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने पहले भी 7 जनवरी को अंजू देवी को बच्चे का संरक्षण देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि बच्चा उनके लिए अजनबी है। अदालत ने कहा था, यह कहते हुए खेद हो रहा है, लेकिन बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है। यदि आप चाहें तो कृपया बच्चे से मिलें। यदि आप बच्चे की कस्टडी चाहते हैं तो इसके लिए अलग प्रक्रिया है। सुनवाई के दौरान, अतुल की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बच्चा हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है।
गौरतलब है कि 34 वर्षीय अतुल सुभाष का शव पिछले साल 9 दिसंबर को बेंगलुरु के मुन्नेकोलालु स्थित उनके घर में फंदे से लटका मिला था। उन्होंने कथित तौर पर एक लंबा सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को अपनी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
इस मामले में निकिता सिंघानिया, उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को अतुल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें 4 जनवरी को सशर्त जमानत दे दी गई थी। इससे पहले, दिसंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निकिता सिंघानिया के चाचा सुशील सिंघानिया को भी अग्रिम जमानत दे दी थी, जिनका नाम भी इस मामले में शामिल था।