सिर्फ सीएनजी-इलेक्ट्रिक बसों को एंट्री; इन वाहनों पर पहली से रोक, जहरीली हवा से बचाव को ग्रैप के नियम भी लागू
नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली में वायु प्रदूषण ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए यहां कई उपाय किए गए हैं। इस बीच अब दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाली बसों की एंट्री पर रोक लगाने की बात भी दिल्ली सरकार ने कही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पूरे नॉर्थ इंडिया में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। दिल्ली और पूरे पूर्वोतर भारत में पीएम 2.5 का लेवल बढ़ गया है और प्रदूषण में पीएम 10 का स्तर कम हो गया है। दिल्ली की सभी बसें सीएनजी हैं लेकिन जो बसें उत्तर प्रदेश और हरियाणा तथा दिल्ली से सटे अन्य राज्यों से आ रही हैं, वे सभी डीजल आधारित हैं। इसकी वजह से प्रदूषण बढ़ा है। गोपाल राय ने कहा, सीएक्यूएम को निर्देश दिया गया है कि पहली नवंबर से सिर्फ सीएनजी, इलेक्ट्रिक और क्चस्-ङ्कढ्ढ बसों को ही अनुमति दी जाएगी। हमने ड्राइवरों और अधिकारियों से बातचीत की है। हमें बताया गया है कि यहां डीजल से चलने वाली बसें हैं। पहली नवंबर से परिवहन विभाग अलग-अलग प्रवेश मार्ग पर जांच करेगा। आसपास की जगहों की वजह से दिल्ली के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
हमने केंद्र सरकार और हरियाणा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों से डिमांड की है कि वे एनसीआर में डीजल बसों को बैन करें। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढऩे से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हवा की धीमी गति और रात के समय तापमान में गिरावट की वजह से शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई)बहुत खराब श्रेणी में है। अनुमान जताया गया है कि 31 अक्तूूबर तक दिल्ली की हवा में सुधार नहीं होगा। दिल्ली में वाहनों से निकलने वाले धुएं, आसपास के इलाकों में धान की पराली जलाने और आतिशबाजी की वजह से प्रदूषण काफी बढ़ता है। दिल्ली में प्रदूषण बढऩे के बाद सुबह के वक्त घरों से टहलने के लिए निकलने वाले लोगों का कहना है कि इससे सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं और आंखों में जलन की समस्या पैदा हो रही है। दिल्ली में प्रदूषण को काबू करने के लिए ग्रैप के नियम भी लागू हैं। हालांकि, इसके बाद दिल्ली की दमघोंटू हवा नहीं सुधर रही है।