भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्रों को दिया वनाग्नि नियंत्रण करने का प्रशिक्षण
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शनिवार को भूमि संरक्षण वन प्रभाग, लैंसडौन के तत्वावधान में एक दिवसीय वनाग्नि नियंत्रण प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के 150 से अधिक छात्र-छात्राओं, एनएसएस स्वयं सेवकों और एनसीसी कैडेट्स ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। इस माके पर वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. एस.पी. मधवाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारी विभागों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का नैतिक दायित्व है। हम सभी को मिलकर वन संपदा की रक्षा करनी होगी।
वन क्षेत्राधिकारी विषम दत्त जोशी के नेतृत्व में छात्रों को बांस से निर्मित ‘बत्ता’ से आग बुझाने की पारंपरिक तकनीक, आग बुझाने के लिए ‘झापा’ (गीला कपड़ा) और ‘पंजी’ (मिट्टी डालने) के उपयोग, आधुनिक इलेक्ट्रिक ब्लोअर मशीन का संचालन, आग बुझाने के अन्य उपकरणों का प्रशिक्षण दिया गया। प्रभागीय वनाधिकारी श्रीमती स्पर्श काला ने बताया कि उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में हर वर्ष ग्रीष्मकाल में सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि आग की भेंट चढ़ जाती है। इससे न केवल वन्य जीवों को खतरा होता है, बल्कि वायु प्रदूषण और मृदा अपरदन जैसी गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। उन्होंने ‘फायर फॉरेस्ट’ मोबाइल एप्लिकेशन के उपयोग पर विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार आम नागरिक वनाग्नि की सूचना तत्काल वन विभाग को 1926 टोल-फ्री नंबर या एप के माध्यम से दे सकते हैं। उपप्रभागीय वनाधिकारी प्रशांत हिंदवाण ने ग्रीष्मकालीन अग्नि सत्र (15 फरवरी से 15 जून) के दौरान विशेष सावधानियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस अवधि में वनों में सूखी पत्तियों और घास के जमाव के कारण आग लगने का खतरा अधिक होता है। ऐसे में पिकनिक मनाने वालों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए और किसी भी प्रकार का धूम्रपान या आग लगाने से बचना चाहिए। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. डॉ. एल.आर. राजवंशी ने कहा कि यह प्रशिक्षण छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है। महाविद्यालय परिवार वन संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है। इस अवसर पर ग्राम प्रधान दीपक सिंह बिष्ट, सरपंच बिजेंद्र सिंह, हंस फाउंडेशन के प्रतिनिधि संजय सिंह बजवाल सहित महाविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डॉ. अर्चना नौटियाल, एनएनएस सहायक समन्वयक डॉ. अजय रावत, एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉ. देवेंद्र सिंह चौहान आदि मौजूद थे।