भारत में सभी नागरिकों को समान अधिकार: आरिफ मोहम्मद खान
नई दिल्ली,एजेंसी। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को कहा कि भारत में बहुसंख्यक अल्पसंख्यक वर्गीकरण की जरूरत नहीं है क्योंकि यहां सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं, जबकि इसके विपरीत पाकिस्तान में इस्लाम को नहीं मानने वाले लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं। आरिफ मोहम्मद खान ने दिल्ली में एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम यह भी कहा कि भारतीय सभ्यता और हमारी सांस्कृतिक विरासत में धर्म के आधार पर भेदभाव की कोई अवधारणा नहीं है। इसलिए वे बहुसंख्यक अल्पसंख्यक के इस वर्गीकरण को पूरी तरह अस्वीकार करते हैं।
खान ने कहा कि वे लंबे समय से इस बात को लेकर बहस कर रहे हैं कि संविधान में ऐसा एक भी प्रविधान नहीं है जो धार्मिक संदर्भ में अल्पसंख्यक अधिकारों की बात करता है। केरल के राज्यपाल ने कहा कि बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक शब्दों का इस्तेमाल कर वर्गीकरण करने का मतलब क्या है। मैं कभी अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल नहीं करता। आप इसका क्या अर्थ निकालते हैं, क्या मैं बराबर का अधिकार नहीं रखता हूं। मैं एक गौरवशाली भारतीय नागरिक हूं। जिसके पास अन्य नागरिकों के जैसे ही समान अधिकार हैं।
खान ने कहा कि भारतीय सभ्यता को कभी भी किसी धर्म के आधार पर परिभाषित नहीं किया गया है। जबकि अन्य कई सभ्यताओं को धर्म द्वारा परिभाषित किया गया है। कई सभ्यताओं को जाति और भाषा द्वारा भी परिभाषित किया गया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या पिछले कुछ दशकों में भारतीय राजनीति अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से बहुसंख्यकवाद की ओर बढ़ी है, खान ने दावा किया कि हमारे किसी भी ग्रंथ में हिंदू शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। अपने मत के पक्ष में खान ने कुछ श्लोकों का उच्चारण भी किया।
उन्होंने कहा कि हम पर लंबे समय तक विदेशी लोगों का शासन रहा। मेरा मतलब नकारात्मक अर्थों में नहीं है, बल्कि इस अर्थ में है कि वे भारतीय लोकाचार और दर्शन एवं दृष्टिकोण से परिचित नहीं थे। हजारों वर्ष पुरानी भारतीय सभ्यता का सफर कब शुरू हुआ, यह किसी को नहीं पता, लेकिन यह निश्चित है कि इसे धर्म के आधार पर कभी परिभाषित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए नियम कानूनों की इसलिए जरूरत है क्योंकि वहां इस्लाम न मानने वालों पर कई पाबंदियां लगाई गई हैं। वहां गैरमुस्लिमों के साथ भेदभाव होने के कारण उनका कई पदों पर पहुंचना नामुमकिन है।