नैतिकता, सदाचार एवं सत्याश्रय बहुत जरूरी : नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : श्री डांडा नागराजा मंदिर सभा द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि नैतिकता, सदाचार और सत्याचरण को अपना आदर्श बनाकर, हम एक श्रेष्ठतम व्यक्ति बन सकते हैं और एक उत्कृष्ट समाज का निर्माण कर सकते हैं। ये मूल्य हमें सही निर्णय लेने, दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने और सत्य का पालन करने में सहयोग करते हैं, जिससे हमारा जीवन अधिक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बन जाता है।
महाराज ने कहा कि वेदों, उपनिषदों एवं अन्य सभी धर्मग्रंथों में नैतिक अथवा सदाचार शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। सदाचार सुख का आधार है, मानवता का है ये आभूषण। आचरण की उज्ज्वलता को ही सदाचार सच्चरित्रता कहते हैं। सदाचार से तात्पर्य है अच्छा आचरण या सच्चा आचरण। व्यक्ति का आचरण ही उसके व्यक्तित्व का परिचायक होता है, समाज में मिलने वाली प्रतिष्ठा और सम्मान भी उसके आचरण पर ही निर्भर करता है। सदाचारी व्यक्ति को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। समस्त ऋषि-मुनियों व शास्त्रियों की मान्यता है कि मनुष्य का चरित्र तभी तक है जब तक उसमें नैतिकता व चारित्रिक दृढ़ता है। हमारी भारतीय संस्कृति में सदैव ही नैतिक मूल्यों की अवधारणा पर विशेष बल दिया गया है। महाराज ने कहा कि नैतिकता के बिना जीवन में आत्मोन्नति सम्भव नहीं। नैतिकतापूर्ण जीवन जीकर, दूसरों के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करके ही इस जीवन में सफलता के सही मार्ग का चयन कर सकते हैं। वैसे भी जगत में कदाचित् ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो विफलता चाहता हो। नैतिकता से मनुष्य के साथ-साथ समाज और राष्ट्र का भी उत्थान होता है। जो समाज नैतिकता से विमुख हो जाता है, उसकी अवनति निश्चित है। इसलिए सभी लोगों को नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए। यदि हम प्रारम्भ से ही अपने बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा प्रदान करेंगे, तभी भविष्य में हम अच्छे, चरित्रवान, कर्तव्यनिष्ठ एवं सत्यपरायण व्यवहारनिष्ठ शासक, अधिकारी, अध्यापक व कर्मचारी की कल्पना कर सकते हैं। अत: भावी पीढ़ी को नैतिक रूप से सुदृढ़ बनाना हम सभी का उत्तरदायित्व है। इस मौके पर समाजिक कार्यकर्ता एवं ग्रामीण पत्रकार जगमोहन डांगी को व्यास पीठ से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सुभाष चंद्र देशवाल अध्यक्ष डांडा नागराजा धर्मक्षेत्र विकास समिति, पुजारी गणेश देशवाल, मंदिर समिति अध्यक्ष कमलेश चमोली, सचिव राजेंद्र प्रसाद बिजलवान, कोष अध्यक्ष मुकेश बिष्ट, संयोजक बीरेंद्र प्रसाद भट्ट, पूर्व अध्यक्ष शशिकांत चमोली, शशिकांत भट्ट शास्त्री, कृष्ण कुमार सुंदरियाल, प्रमुख समाजसेवी गिरीश बलूनी, पवन थपलियाल आदि मौजूद रहे।

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