25साल बाद भी पहाड़-मैदान करने वालों की सोच संर्कीण: निशंक

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देहरादून)। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड ने 25 साल के सफर में संघर्ष, सेवा और विकास में अद्भुत संतुलन स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग 25 साल बाद भी पहाड़ मैदान की बात कर रहे हैं, उनकी सोच संर्कीण है। क्योंकि बिना हरिद्वार और उधमसिंहनगर के उत्तराखंड की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। डॉ. निशंक ने कहा कि उत्तराखंड राज्य लंबे संघर्ष के बाद बना है। हरिद्वार और उधमसिंहनगर इस पर्वतीय राज्य की विवधता को पूरिपर्ण करते हैं। हरिद्वार के बिना देवभूमि हो ही नहीं सकती है। लेकिन आज जो लोग पहाड़-मैदान, गढ़वाल-कुमाऊं, ब्राह्मण-ठाकुर की बात कर रहे हैं, वह इस राज्य के हितैषी नहीं हैं। क्योंकि आज समग्र उत्तराखंड की बात होनी चाहिए। हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की सीमाएं चीन, तिब्बत और नेपाल से लगती हैं, यहां मजबूत सड़क, रेल, संचार और ऊर्जा नेटवर्क राष्ट्र की सुरक्षा और स्थिरता से जुड़ा विषय है। उत्तराखंड की लोक संस्कृति, परंपरा और जन-आस्था हमारी सामूहिक शक्ति का केंद्र हैं। हिमालय के गांव केवल सीमाओं के प्रहरी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय एकता के सजीव प्रतीक हैं। उत्तराखंड की 25 वर्ष की यात्रा शौर्य, परंपरा और प्रगति का संगम है। ‘अटल ने बनाया, मोदी संवार रहे’ डॉ.निशंक ने कहा कि जब उत्तराखंड बन रहा था, तब सिर्फ आठ पर्वतीय जिलों को इसमें रखा गया था। अटल बिहारी बाजपेयी ने उत्तर प्रदेश के प्रस्ताव को वापस लौटाया और इसमें हरिद्वार और उधमसिंहनगर को शामिल किया। इसके बाद की सरकारों ने उत्तराखंड को एक छोटे राज्य के राज्य के तौर पर उत्तराखंड को देखा, लेकिन 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उत्तराखंड को संवारने की जिम्मेदारी ली। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सुदृढ़ कार्ययोजना के तहत आगे बढ़ रहा है।

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