बरसात थमने के बाद भी हाईवे पर चुनौतियां कम नहीं

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कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य पहाड़ी से अब भी आ रहा मलबा व बोल्डर
कीचड़ व गड्ढों के कारण दोपहिया वाहनों की बढ़ी रही चुनौती
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : भले ही मानसून की वापसी हो गई हो। लेकिन, मानसून के जख्म अब भी चुनौती बन रहे हैं। हालत यह है कि कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर अब भी पहाड़ी से मलबा व बोल्डर गिर रहा है। दरअसल, पहाड़ी में फंसे बोल्डर के नीचे से मिट्टी सूखते ही वह सिखक रहे हैं। ऐसे में कब दुर्घटना हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। सबसे अधिक खतरा आमसौड़ से करीब पांच सौ मीटर पहले पुलिया के समीप बनी हुई है।
दो वर्ष पूर्व वर्षाकाल के दौरान कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग बदहाल हो गया था। राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब दस से अधिक डेंजर जोन बने हुए थे। पांच से अधिक स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग का हिस्सा खोह नदी में समा गया था। ऐसे में होना तो यह चाहिए था कि सरकारी सिस्टम इस वर्ष वर्षाकाल से पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत करवाता। लेकिन, सिस्टम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। नतीजा, इस वर्ष वर्षाकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग और अधिक बदहाल हो गया है। डेंजर जोन की संख्या दस से बढ़कर बीस से अधिक हो गई है। आठ से अधिक स्थानों पर हाईवे का हिस्सा खोह नदी में समा गया है। लालपुल से करीब एक किलोमीटर आगे हाईवे लगातार खोखला होता जा रहा है। बरसाती रपटे के समीप भी पहाड़ी से बोल्डर सड़क पर आ रहा है। दरअसल, पहाड़ी में प्राकृतिक स्रोत बनने से पानी के साथ कीचड़ भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ रहा है। ऐसे में दोपहिया वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कब मोटर साइकिल रपटकर खोह नदी में समा जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता।

सूख रही मिट्टी खिसक रहा बोल्डर
कोटद्वार से दुगड्डा के मध्य 15 किलोमीटर के सफर में दस से अधिक ऐसे स्थान हैं जहां पहाड़ी से अब भी बोल्डर गिरने का खतरा बना हुआ है। दरसअल, मिट्टी गीली होने से बोल्डर पहाड़ी पर अटके हुए थे। लेकिन, मिट्टी सूखते ही अब बोल्डर अपनी जगह छोड़ हाईवे पर आ रहे हैं। ऐसे में वर्षाकाल थमने के बाद भी रहागिरों की चुनौती बरकरार है। आमसौड़ के समीप हाईवे का आधा हिस्सा खोह नदी में समाया हुआ है और आधे हिस्से में पहाड़ी से बोल्डर गिर रहे हैं।

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