सड़क पर गैराज, पैदल चलना भी चुनौती

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शहर में अधिकांश गैराज सड़क पर हो रहे संचालित
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम व स्थानीय प्रशासन का ध्यान केवल रेहड़ी-ठेली तक ही सीमित है। जबकि, सड़क पर संचालित हो रहे गैराज यातायात में सबसे अधिक बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। गैराज के नाम पर वाहन सर्विस करने वाले आधे से अधिक सड़क पर कब्जा जमा कर बैठे हुए हैं। सड़क पर संचालित हो रहे गैराज को पूर्व में मोटर नगर में शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन, यह योजना आज तक धरातल पर रंग नहीं ला पाई। नतीजा, अव्यवस्थाओं के कारण पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।
कोटद्वार की सड़कों पर करीब 70 से अधिक गैराज संचालित हो रहे हैं। इसमें से अधिकांश गैराज तो गैराज रोड पर ही संचालित हो रहे हैं। गैराज में मरम्मत के लिए आने वाले वाहनों को सड़क पर खड़ा किया जाता है। साथ ही सड़क पर ही मरम्मत का कार्य भी किया जाता है, जिससे पूरे दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। साथ ही पैदल चलने वालों को भी दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। सबसे बुरी स्थिति पटेल मार्ग व सिताबपुर-मानपुर मार्ग पर बनी रहती है। झंडाचौक-मानपुर-सिताबपुर मार्ग पर तो भारी वाहनों के साथ ही जेसीबी व पोकलेन की मशीनों की मरम्मत का कार्य सड़क पर ही चलता रहता है। पटेल मार्ग पर एक ओर दोपहिया वाहन मरम्मत व दूसरी ओर सड़क घेरे रेहड़ी-ठेली चुनौती बन रही है। पूर्व में शहरवासियों ने व्यवस्थाओं को बेहतर बनने के लिए जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से गुहार लगाई थी। लेकिन, आज तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।

पूर्व में यह बनी थी योजना
एक दशक पहले तत्कालीन नगर पालिका ने सड़क किनारे संचालित हो रहे गैराज को मोटर नगर स्थित खाली दुकानों में शिफ्ट करने की व्यवस्था बनाई थी। उम्मीद थी कि इस योजना से गैराज संचालकों को भी एक स्थान मिल जाएगा और यातायात व्यवस्था में भी सुधार होगा। नगर पालिका ने लाखों की लागत से मोटर नगर में गैराज भी बनाए। लेकिन, सड़क किनारे चल रहे गैराज आज भी आमजन के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं।

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