नई दिल्ली , भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सॉलिड मोटर्स के लिए स्वदेशी रूप से विकसित ’10-टन प्रोपेलेंट मिक्सर’ को भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता का प्रमाण बताया है।
इस प्रोपेलेंट मिक्सर को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर, इसरो द्वारा सेंट्रल मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (सीएमटीआई), बेंगलुरु के सहयोग से विकसित और निर्मित किया गया है। सीएमटीआई भारी उद्योग मंत्रालय के तहत एक प्रमुख अनुसंधान और विकास संगठन है। 10-टन वर्टिकल मिक्सर का वजन लगभग 150 टन है और इसकी लंबाई 5.4 मीटर, चौड़ाई 3.3 मीटर और ऊंचाई 8.7 मीटर है।
इसरो ने कहा, स्वदेशी 10-टन वर्टिकल मिक्सर का निर्माण भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का सच्चा प्रमाण है।एजेंसी ने कहा, अंतरिक्ष विभाग ने ‘आत्मनिर्भर अंतरिक्ष’ के हिस्से के रूप में क्रिटिकल टेक्नोलॉजीज, सामग्रियों और मशीनरी के स्वदेशी विकास की दिशा में कई पहल की हैं।
यह सॉलिड प्रोपेलेंट की प्रोसेसिंग के लिए दुनिया का सबसे बड़ा वर्टिकल प्रोपेलेंट मिक्सर है। जो कि किसी बड़े तकनीकी चमत्कार से कम नहीं है। ‘सॉलिड प्रोपेलेंट’ रॉकेट मोटर्स की बैकबोन हैं और उनके प्रोडक्शन के लिए अधिक सेंसिटिव और खतरनाक इंग्रेडिएंट्स के सटीक मिश्रण की जरूरत होती है।
इसरो ने कहा कि वर्टिकल मिक्सर के डेवलपमेंट में शिक्षाविदों और उद्योगों के साथ सहयोग शामिल है और इसने फैक्ट्री लेवल स्वीकृति टेस्ट भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।यह हाई-कैपेसिटी मिक्सर हेवी सॉलिड मोटर प्रोडक्शन के लिए प्रोडक्टिविटी, क्वालिटी और सुधार पेश करेगा।