नयार नदी के स्रोत से संगम तक की यात्रा के अनुभव सुनाए

Spread the love

देहरादून। दून पुस्तकालय की ओर से बुधवार को नयार नदी:स्रोत से संगम अध्ययन यात्रा दल के सदस्यों ने नयार नदी के पारिस्थिकी तंत्र को जानने व समझने, उसमें आये बदलाव उसके समाधान की सम्भावनाओं पर अपने यात्रा अनुभव सुनाए। प्रस्तुतिकरण के दौरान यात्रा दल के वरिष्ठ सदस्य यायावर लेखक डॉ. अरुण कुकसाल ने कहा कि पौड़ी जनपद में स्थित नयार नदी का उदगम स्थल दूधातोली जलागम क्षेत्र है। इसका उत्तरी हिस्सा चमोली, पूर्वी अल्मोड़ा और दक्षिण-पश्चिम पौड़ी (गढ़वाल) जनपद में शामिल है। दूधातोली क्षेत्र सामाजिक दृष्टि से राठ बहुल क्षेत्र में आता है। पूर्वी और पश्चिमी नयार नदी का उदगम दूधातोली क्षेत्र के मुरलीकोठ चोटी 2900 मीटर ऊंचाई के पनढाल से निकलने वाली जलधाराओं से होता है। दो अलग-अलग दिशा पूर्वी व पश्चिमी नयार के रुप में यह नदी बहती है। अपने-अपने क्षेत्र से लगभग 100 किमी. की दूरी तय कर सतपुली से 2 किमी आगे दुनै घाट मिल कर नयार नदी के नाम से 20 किमी ओर आगे बढ़कर व्यासघाट में नयार नदी गंगा में समाहित हो जाती है। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में यात्रा के वीडियो भी दिखाए। उन्होंने बताया कि ‘पहाड़’ संस्था के संयोजन में हर दस साल में की जाने वाली अस्कोट-आराकोट यात्रा की कड़ी में विगत माह 21 से 28 अप्रैल के बीच इस अध्ययन यात्रा को पूरा किया। संचालन बिजू नेगी और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने किया। मौके पर प्रो. कैलाश चंद्र पुरोहित, सुंदर सिंह, आलोक कुमार, अरुण असफल, मनोज इष्टवाल, कमल भट्ट, आलोक सरीन, एके कुकसाल उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *