समान नागरिक संहिता पर विशेषज्ञों ने की चर्चा

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श्रीनगर गढ़वाल : सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलीटिक्स कानपुर के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा में समान नागरिक संहिता का क्रिगयान्वयन: आदर्शों और वास्तविकताओं के बीच समन्वय विषय पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। चर्चा में ढाई सौ से अधिक शिक्षाविद, शोधार्थी और छात्र शामिल हुए। परिचर्चा में बतौर मुख्य वक्ता गढ़वाल विवि के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. एमएम सेमवाल ने यूसीसी के ऐतिहासिक, संवैधानिक, सामाजिक और कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने जनता से सुझाव लेकर इस कानून को लागू किया और इसके अंतर्गत विरासत, विवाह व पारिवारिक कानूनों को समानता के आधार पर संहिताबद्ध किया गया है। प्रो. सेमवाल ने लिवइन रिलेशनशिप और जनजातीय समुदायों पर इस कानून के प्रभावों की भी चर्चा की। उन्होंने सैनिकों के लिए प्रिविलेज्ड वसीयत के प्रावधान की व्याख्या की, जिसके तहत वे अपनी वसीयत सरल और लचीले नियमों के तहत बना सकते हैं। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलीटिक्स, कानपुर के डायरेक्टर डा. एके. वर्मा ने कहा कि समान नागरिक संहिता का क्रियान्वयन लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार को इस पहल के लिए बधाई दी और कहा कि यह अनुभव भविष्य में राष्ट्रीय स्तर पर समान नागरिक संहिता लागू करने में सहायक हो सकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय कुमार ने किया। मौके पर प्रो. एके शर्मा, प्रो. सरोज कुमार शर्मा, प्रो. जितेंद्र नारायण, प्रो. यूसी गैरोला, डॉ. सूर्यभान, प्रो. राजेश पालीवाल डॉ. धर्मेंद्र आदि मौजूद रहे। (एजेंसी)

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