देहरादून। भारतीय मजदूर संघ ने सिडकुल क्षेत्रों में श्रमिकों का शोषण बंद किए जाने की मांग की। सचिव श्रम श्रीधर बाबू अदांकी को सचिवाालय में ज्ञापन सौंपते हुए श्रमिकों को जल्द मानक अनुसार वेतन सुनिश्चित कराने की मांग की। भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री सुमित सिंघल ने कहा कि श्रमिकों को न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी का लाभ नहीं मिल रहा है। मार्च 2024 में सरकार की ओर से की गई 25 प्रतिशत न्यूनतम वेतन वृद्धि की घोषणा धरातल पर नहीं उतर पाई। प्रदेश के 10 लाख से अधिक श्रमिकों को लाभ मिलना था। आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन, बोनस, पीएफ, ईएसआईसी जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा है। एजेंसियां अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन कर रही हैं। उपाध्यक्ष अजयकांत शर्मा ने कहा कि सिडकुल समेत अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में ठेका श्रमिकों का शोषण हो रहा है। हरिद्वार, उधमसिंह नगर, रुड़की, सितारगंज आदि क्षेत्रों में प्रबंधन द्वारा ठेके पर कार्यरत श्रमिकों से फैक्ट्री में मुख्य उत्पादन का कार्य लिया जा रहा है। जो कि कानूनी रूप से पूरी तरह प्रतिबंधित है। उन्हें ओवरटाइम का दोगुना वेतन, मेडिकल, कैंटीन, सेफ्टी शूज जैसी अनिवार्य सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। दुर्घटनाओं के बाद मुआवजा तक नहीं दिया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश उपाध्यक्ष अजय कांत शर्मा, मीना रावत, शिवम मिश्रा मौजूद रहे। ऑफिसों से अफसर गायब बीएमएस प्रतिनिधियों ने कहा कि हरिद्वार, उधमसिंहनगर जैसे महत्वपूर्ण औद्योगिक जिलों में वरिष्ठ अधिकारी कार्यालय में उपस्थिति दर्ज नहीं कराते। इससे श्रमिकों की शिकायतों का निस्तारण नहीं हो रहा है। श्रमिकों के पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट, ग्रेच्युटी एक्ट समेत कई मामलों में केस वर्षों से लंबित हैं। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई हो। श्रम विवादों में श्रम अधिकारी न्याय देने की बजाय कई बार प्रबंधन पक्ष के दबाव में आकर मामलों को कोर्ट में रेफर कर देते हैं। इससे श्रमिकों को न्याय मिलने में वर्षों लग रहे हैं। डीबीटी में सामने आ रही हैं अनियमितताएं प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि श्रमिकों के खातों में लाभ सीधे भेजे जाने वाली डीबीटी प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है। वर्षों से लंबित लाभ के आवेदन निष्क्रिय पड़े हैं। जरूरतमंद श्रमिकों को तत्काल राहत नहीं मिल पा रही है।