बड़े फैसलों पर निगाहें
अपनी नई सरकार के गठन से पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि आने वाले वर्षों में उनकी सरकार कुछ कड़े फैसले लेगी जो की देश और जनहित के विकास में होगी। तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के साथ ही इस नीति पर काम शुरू कर दिया गया है और उम्मीद की जा रही है कि अगले एक वर्ष के अंदर भारत में कानून व्यवस्था से लेकर दूसरे क्षेत्रों में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। मोदी लगातार कहते रहे हैं कि उनका तीसरा कार्यकाल बड़े फैसलों वाला होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान भी कुछ ऐसे बड़े फैसले लिए गए जो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बने। इनमें जम्मू कश्मीर से धारा 370 का हटाना, राम मंदिर का निर्माण, नागरिकता अधिनियम कानून का लागू होना बड़े फैसलों के रूप में गिना जाता है। यह बड़े फैसले लेने के बाद अब पूरे देश की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में है और देश की जनता इस बात को लेकर उत्सुक है कि मोदी की फेहरिस्त में वह बड़े फैसले कौन से हैं जिनके बारे में वह अक्सर जिक्र करते आए हैं। मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान एक देश एक चुनाव का विषय भी काफी प्रमुखता से उठा था लेकिन कहीं ना कहीं चुनाव नजदीक होने के कारण इस पर पूरी तरह से कार्य नहीं किया जा सका। अपने घोषणा पत्र में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 मे एक देश एक चुनाव का वादा किया गया है। देश के लोग भी यही चाहते हैं लेकिन गठबंधन की सरकार में या बड़ा फैसला कहीं ना कहीं मोदी की राह में बाधा बन सकता है। एक देश एक चुनाव की बहस 2018 में विधि आयोग के एक मसौदा रिपोर्ट के बाद शुरू हुई थी। उस रिपोर्ट में आर्थिक वजहों को गिनाया गया था। आयोग का कहना था कि 2014 में लोकसभा चुनावों का खर्च और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों का खर्च लगभग समान रहा है। वहीं, साथ-साथ चुनाव होने पर यह खर्च 50:50 के अनुपात में बंट जाएगा। अभी यह मैं ला एक समिति के अधीन है और इस पर फैसला लिया जाना बाकी है। बड़े फैसलों की फेहरिस्त में समान नागरिकता संहिता पर भी देश नजर लगाए बैठा है। यह नई व्यवस्था भाजपा के एजेंडे में रहा है। पार्टी ने 2024 के घोषणापत्र में इस विषय को रखा गया है। स्पष्ट है कि समान नागरिकता संहिता ही एक ऐसा विषय है जिस पर गठबंधन दलों के साथ विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है तो वहीं विपक्ष भी इस मसले को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। इसके अलावा विदेश नीति में यूएएनएसी की स्थायी सदस्यता , स्वास्थ्य क्षेत्र में आयुष्मान भारत का विस्तार, योजन में वरिष्ठ नागरिकों और ट्रांसजेंडर समुदाय को शामिल करने जैसे बड़े फैसले देखने को मिल सकते हैं। देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिक्षा एवं स्वास्थ्य में भी एक बड़े फैसले की प्रतीक्षा है खासतौर से एक समान शिक्षा नीति और निशुल्क स्वास्थ्य आज देश की सबसे बड़ी जरूरत है और सरकार को इस पर गंभीरता से फैसला लेते हुए अपनी प्रतिबद्धता जनता के प्रति दिखानी चाहिए।