कोटद्वार में फर्जी वित्तीय कंपनी का भंडाफोड़, मुख्य संचालक गिरफ्तार

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जयन्त प्रतिनिधि
कोटद्वार : कोतवाली पुलिस ने कोटद्वार में संचालित एक फर्जी वित्तीय कंपनी का पर्दाफाश करते हुए लाखों की धोखाधड़ी में शामिल मुख्य संचालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जबकि अन्य फरार अभियुक्तों की तलाश जारी है। कंपनी आरडी और एफडी जैसे जमा खातों पर अधिक ब्याज का लालच देकर लोगों से बड़ी रकम जमा कर रही थी। पुलिस का कहना है कि कंपनी को जनता से धन एकत्रित करने का कोई वैध अधिकार नहीं था।
5 सितंबर 2024 को वादिनी यास्मीन निवासी कोटद्वार द्वारा कोतवाली कोटद्वार में एक शिकायती प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। वादिनी ने बताया कि सितम्बर 2023 से सितम्बर 2024 तक बोहरा कंपनी के डायरेक्टर भीम सिंह के कहने पर उन्होंने प्रतिदिन 100 रूपये जमा कर 36,500 रूपये एक वर्ष की अवधि के लिए जमा की थी। तय समय पूरा होने के बाद भी कंपनी ने ब्याज सहित रकम वापस नहीं की और कार्यालय बंद करके संचालक फरार हो गया। शिकायत पर कोतवाली कोटद्वार में संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि उक्त कंपनी ने कोटद्वार के अलावा राज्य के अन्य शहरों में भी लोगों से इसी तरह खाते खुलावकर लाखों रूपए जमा कराए थे। अधिक ब्याज का लालच देकर रकम जमा करनेक के बाद कंपनी संचालक फरार हो गए। पुलिस जांच में यह भी सामने में आया कि कंपनी मालिक के खिलाफ देहरादून और टिहरी में भी धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज है। तकनीकी जांच और बैंक डिटेल्स के आधार पर पुलिस टीम ने मुख्य अभियुक्त दिलीप सिंह बोहरा पुत्र बल बहादुर निवासी विनोद बिहार, श्यामपुर, ऋषिकेश को देहरादून से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस टीम में उपनिरीक्षक अनिल चौहान, अपर उपनिरीक्षक अहसान अली, मुख्य आरक्षी शशिकांत त्यागी, आरक्षी गंभीर आदि शामिल थे।

कंपनी को नहीं था जनता से धन एकत्रित करने का कोई वैध अधिकार
पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार अभियुक्त दिलीप सिंह बोहरा ने बताया कि उसने अपने साथियों भीम सिंह प्यारे राम, बालकरण, सुरेंद्र सिंह नेगी एवं सूरजमनी सेमवाल के साथ मिलकर बोहरा ग्रामीण विकास निधि लिमिटेड नामक कंपनी खोली थी। उक्त कंपनी मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स भारत सरकार में रजिस्टर्ड अवश्य थी, किंतु नियमानुसार कंपनी को जनता से धनराशि एकत्रित करने, आर.डी., एफ.डी. अथवा अन्य जमा योजनाएं संचालित करने का कोई वैध अधिकार प्राप्त नहीं था। इसके उपरांत भी कंपनी के सदस्यों द्वारा जनता के बीच पासबुक जारी कर धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से धन जमा कराया जाता रहा, जो अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। इन साक्ष्यों के आधार पर मुकदमें उपरोक्त में 12 जून 2025 को धारा 3(5), 61(2), 336(3), 338, 340(2) बी.एन.एस. तथा 3, 21(3) बड्स एक्ट की बढ़ोत्तरी की गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी सर्वेश पंवार ने बताया कि अन्य नामजद अभियुक्तोंं की तलाश जारी है और उनके संभावित ठिानों पर पुलिस टीम दबिश दे रही है।

पुलिस की जनता से अपील
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी सर्वेश पंवार ने लोगों से अपील की है कि किसी भी जमा योजना में पैसा लगाने से पहले उसकी कानूनी वैधता अवश्य जांचे, ताकि ऐसे फर्जी कंपनियों से होन वाले आर्थिक नुकसान से बचा जा सके।

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