चीनी मिल को पीपीपी मोड में देने का किसानों ने किया विरोध
रुद्रपुर। सितारगंज की किसान सहकारी चीनी मिल को पीपीपी मोड में देने के निर्णय का किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है। बुधवार को किसानों ने चीनी मिल प्रधान प्रबंधक कार्यालय परिसर में धरना दिया। किसानों ने कहा कि पीपीपी मोड के बहाने मिल को लीज पर दे दिया है। पूरी प्रक्रिया में किसानों को विश्वास तक में नहीं लिया गया।
धरनास्थल पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि सितारगंज मिल में किसानों के शेयर हैं। किसानों की जमीन पर बनी मिल को निजी हाथों में सौंप दिया है, जबकि किसान लम्बे समय से सहकारी क्षेत्र में मिल चलाने की मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मिल लाभ में आई तो सरकार ने निजी हाथों में सौंप दी है। किसानों का गन्ना अब औने-पौने दामों पर खरीदा जाएगा। भुगतान कैसे और कब होगा, यह निजी कंपनी के स्वामी के हाथों में रहेगा। तराई में चीनी उद्योग पहले से संकट में हैं। सरकार सम्पत्तियों को निजी हाथों में बेच रही है। किसानों ने कहा कि जब तक मिल के पीपीपी मोड में देने के आदेश निरस्त नहीं होंगे, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने तय किया कि मिल को लीज में देने की प्रक्रिया को रोकने के लिए न्यायालय की शरण में भी जाएगे। यहां भाकियू टिकैत के यूपी व राज्य प्रभारी बलजिंदर सिंह मान, भाकियू चढूनी के प्रदेश अध्यक्ष गुरसेवक सिंह महार, भाकियू जिलाध्यक्ष गुरसेवक सिंह, सीटू जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह, नवतेज पाल सिंह, जगीर सिंह, साहब सिंह, जसवंत सिंह, शक्तिवीर सिंह, रामप्रीत सिंह, शंकर यादव, अमरजीत सिंह, मंगल सिंह, योगेंद्र यादव, सुरेंद्र सिंह, अवतार सिंह मौजूद रहे।
वर्जन-
किसान सहकारी चीनी मिल को 30 वर्ष के लिए लीज में दिए जाने की जानकारी दी गई है। मिल को दिल्ली की जेजीएन शुगर बायोफ्यूल्स प्राइवेट कंपनी को लीज पर दिया गया है। अभी एमओयू की प्रति उन्हें प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए शर्तों की जानकारी नहीं है। विस्तृत जानकारी मिलने पर किसानों को अवगत कराया जाएगा। पेराई सत्र समाप्त होने के बाद शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार मिल को कंपनी को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। -राजीव लोचन शर्मा, प्रधान प्रबंधक, किसान सहकारी चीनी मिल सितारगंज।