किसान टपक सिंचाई का विकल्प अपनाएं

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : राज्य स्थापना की रजत जयंती को लेकर उद्यान विभाग के तत्वावधान में पौड़ी में औद्यानिक फसलों में टपक सिंचाई विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में किसानों को खेती से जुडे़ सवालों के विशेषज्ञों ने समाधान भी बताएं। कृषि विज्ञान केंद्र भरसार के वैज्ञानिक डॉ. अंशुमान सिंह ने कहा कि ड्रिप इरिगेशन प्रणाली जल उपयोग दक्षता को 70 फीसदी तक बढ़ा सकती है। डीएचओ राजेश तिवारी ने कहा कि विभाग किसानों को टपक सिंचाई, प्लास्टिक मल्चिंग, पौधशालाओं की स्थापना व उच्च मूल्य फसलों के प्रचार के लिए अनुदान आधारित योजनाएं संचालित कर रहा है।
कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख पौड़ी अस्मिता नेगी ने किसानों से कहा कि पर्वतीय जिलों में जल संसाधनों का समुचित उपयोग व संरक्षण भविष्य की स्थाई कृषि के लिए जरूरी है। टपक सिंचाई जैसी तकनीकें पानी की बचत के साथ किसानों की मेहनत और लागत दोनों को कम सकती है। कहा कि लिहाजा किसानों को इस तकनीक के बारे में बताने के लिए फील्ड डेमोंस्ट्रेशन व ट्रेनिंग बढ़ाई जाए। पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर फल, सब्जी, फूल व औषधीय पौधों की खेती को किसानों को करना चाहिए। इनसे उनकी आय में इजाफा होगा। एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्रो. डॉ. टीपीएस बिष्ट ने आय बढ़ाने के लिए बागवानी केंद्रित एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। इस मौके पर पीडी डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय, डीडीओ मनविंदर कौर, इंडियन ऑयल से सुरेश सचिदेव, उद्यान विभाग के अफसर व तकनीकी विशेषज्ञों के साथ ही किसान मौजूद रहे।

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