समृद्घि की सड़क पर सियासी लाभ की भी तेज रफ्तार, हर महीने किसी बड़े प्रोजेक्ट के उद्घाटन या शिलान्यास की योजना
नई दिल्ली, एजेंसी। सड़क से समृद्घि का सफर और सियासी लाभ भी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के सोहना-दौसा खंड के उद्घाटन के साथ केंद्र सरकार एक के बाद एक बड़े इन्फ्रा प्रोजेक्ट के उद्घाटन अथवा शिलान्यास की राह पर आगे बढ़ गई है।
बजट में इन्फ्रा परियोजनाओं के लिए रिकार्ड दस लाख करोड़ आवंटित करके सरकार ने आगे के लिए अपनी दिशा-इच्छा-संकल्प बता ही दिया था, लेकिन अगले एक साल में जो बड़े प्रोजेक्ट लोगों के सामने रखे जा रहे हैं, वे पिछले सालों में किए गए निवेश अथवा योजना का हिस्सा हैं और अब फल देने वाली स्थिति में पहुंच गए हैं।
दिल्ली-मुंबई के बीच विश्व स्तरीय एक्सप्रेस वे के एक हिस्से का उद्घाटन करते हुए पीएम ने अपनी सरकार का दृष्टिकोण यह कहते हुए स्पष्ट भी कर दिया कि बुनियादी ढांचे में निवेश व्यापक विकास के साथ रोजगार के अनेक अवसर उत्पन्न करता है और आधुनिक इन्फ्रा का लाभ हर कोई यानी अमीर-गरीब, किसान-ग्रामीण, शहरी, उद्यमी-उद्योगपति सभी उठाते हैं।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे की इंजीनियरिंग खूबियां, तकनीकी श्रेष्ठता और अलग अहसास कराने वालीं विलक्षण सुविधाएं अपनी जगह हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर यह पांच राज्यों-दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में लोगों का जीवन बदलने वाला साबित हो सकता है। इसलिए और भी, क्योंकि यह दिल्ली-मुंबई के बीच यात्रा समय लगभग आधा करने के साथ ही लाजिस्टिक लागत में बड़ी कमी का माध्यम भी बनेगा। इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ई-एक्सप्रेस वे के रूप में भी विकसित करने की तैयारी है।
जाहिर है, ऐसे रास्ते लोगों को सुविधा देने के साथ भाजपा को सियासी सुख भी प्रदान करेंगे। इन्फ्रा प्रोजेक्टों को शोकेस करने का यह सिलसिला इस तरह जारी रहना है कि लगभग हर माह कोई न कोई बड़ी और दिशा बदलने वाली परियोजना का उद्घाटन अथवा शिलान्यास किया जाएगा। पिछले दिनों महाराष्ट्र में वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के साथ लगभग 35 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की शुरुआत की गई।
इसी क्रम में अगले माह बनारस में देश की पहली शहरी परिवहन रोपवे परियोजना की शुरुआत हो सकती है। लाजिस्टिक पार्क, वंदे मेट्रो और कई एयरपोर्टों का विस्तार भी इस साल के एजेंडे में है। संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बनारस रोपवे प्रोजेक्ट की आधारशिला रखेंगे। उत्तराखंड में दो रोपवे प्रोजेक्टों-गौरीकुंड से केदारनाथ और गोविंदघाट से हेमकुंड का शिलान्यास पहले ही किया जा चुका है।
एनएचएआइ की सहयोगी कंपनी नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड के सूत्रों के अनुसार बनारस रोपवे प्रोजेक्ट के शिलान्यास की तिथि की जल्द घोषणा की जाएगी। यह रोपवे परियोजना बनारस में शहरी परिवहन के बोझ को कम करने का काम करेगी। इस प्रोजेक्ट पर विधिवत काम मई में शुरू होगा, लेकिन उसके पहले जमीन के सर्वे आदि का काम शुरू हो गया है। परियोजना का ठेका स्वदेशी कंपनी विश्व समुद्र इंजीनियरिंग को दिया गया है। 815 करोड़ की इस परियोजना के अगले साल के अंत तक या 2025 की शुरुआत में पूरी हो जाने की संभावना है।
इस रोपवे प्रोजेक्ट से बनारस में र्केट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौक के बीच की दूरी केवल 17 मिनट की हो जाएगी, जो अभी भीड़भाड़ वाले ट्रैफिक के कारण एक घंटे की है। बनारस रोपवे के लिए टिकट की दर अभी तय नहीं की गई है। इसके लिए एक नीति तय की जाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार ने पर्यटक स्थलों को कनेक्ट करने के साथ ही शहरी परिवहन के एक हिस्से के रूप में भी रोपवे परियोजनाएं विकसित करने की योजना बनाई है। इसके तहत राज्यों ने ढाई सौ से अधिक प्रस्ताव एनएचएलएमएल को भेजे हैं।