नौकरी जाने के डर से शिक्षक माता-पिता बने हैवान, 4 दिन के मासूम को जंगल में पत्थरों के नीचे जिंदा दबाया

Spread the love

छिंदवाड़ा , ज्ञान का उजियारा फैलाने वाले शिक्षक ही जब हैवान बन जाएं तो इंसानियत पर से भरोसा उठना लाजिमी है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां सरकारी नौकरी बचाने के डर से एक शिक्षक दंपति ने अपनी ही 4 दिन की संतान को जंगल में पत्थरों के नीचे जिंदा दबा दिया।
यह घटना समाज और ममता, दोनों को शर्मसार करने वाली है। आरोपी माता-पिता, बबलू और राजकुमारी डंडोलिया, दोनों नांदवाड़ी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। यह उनकी चौथी संतान थी। उन्हें डर था कि चौथे बच्चे के जन्म के कारण सरकारी नियमों के तहत उनकी नौकरी जा सकती है। इसी अज्ञानता और डर के चलते उन्होंने यह खौफनाक कदम उठाया।
कहावत है कि जाको राखे साइयां, मार सके न कोय। 27 सितंबर की सुबह शिक्षक दंपति अपने नवजात शिशु को रोड घाट के पास सुनसान जंगल में ले गए और उसे भारी पत्थरों के बीच दबाकर भाग निकले। पूरी रात बच्चा ठंड, भूख और जंगली जानवरों के बीच मौत से लड़ता रहा। अगले दिन सुबह वहां से गुजर रहे एक बाइक सवार को बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। जब उसने पास जाकर देखा तो पत्थरों के बीच दबे मासूम को देखकर उसके होश उड़ गए। उसने तुरंत ग्रामीणों और पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद बच्चे को फौरन अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पुलिस ने जांच के बाद आरोपी शिक्षक माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में उन्होंने जो वजह बताई, वह हैरान करने वाली थी। उन्होंने कबूल किया कि उन्हें डर था कि चौथे बच्चे के जन्म से उनकी सरकारी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी और उन्हें निलंबित या बर्खास्त किया जा सकता है।
हालांकि, मध्य प्रदेश सिविल सेवा के नियम कुछ और ही कहते हैं। नियम के अनुसार, 26 जनवरी 2001 के बाद यदि किसी के दो से अधिक बच्चे होते हैं, तो वह सरकारी नौकरी पाने का पात्र नहीं होता। यह नियम नौकरी लगने के बाद बच्चे होने पर लागू नहीं होता और इसमें नौकरी से निकालने का कोई प्रावधान नहीं है।
पुलिस अब इस मामले में हत्या के प्रयास की धारा भी जोड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं, जिला प्रशासन आरोपी शिक्षकों को नोटिस जारी कर विभागीय कार्रवाई करने की बात कह रहा है। इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। मासूम बच्चा फिलहाल अस्पताल में डॉक्टरों की देखरेख में है, जबकि उसके माता-पिता जेल में हैं। अधिकारियों के सामने अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि स्वस्थ होने के बाद बच्चे को किसे सौंपा जाएगा, क्योंकि दंपति के तीन और छोटे बच्चे भी हैं जो इस घटना के बाद बेसहारा हो गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *