खतरा: कोरोना की नई लहर को लेकर बढ़ने लगीं आशंकाएं, वैज्ञानिकों ने कहा- अस्पतालों में भर्ती रोगियों की संख्या पर देना होगा ध्यान
नई दिल्ली , एजेंसी। दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे हालात में ध्यान इस बात पर दिया जाना चाहिए कि अस्पताल में कितने लोग भर्ती हो रहे हैं। यह देश में चौथी लहर का संकेत नहीं है। इन्होंने कहा कि कोविड-19 प्रतिबंधों को हटाना, स्कूलों को फिर से खोलना, आर्थिक गतिविधियों में वृद्घि जैसे कारण राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों कोरोना मामले को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
कोविड-19 प्रतिबंधों को हटाए हुए दो सप्ताह से अधिक समय हो गया है। यह टुट्टी का समय है और लोग आपस में मिल-जुल रहे हैं। सामाजिक और आर्थिक गतिविधि महामारी से पहले के मुकाबले ज्यादा हो रही हैं। चिकित्सक-महामारी विज्ञानी चंद्रकांत लहरिया ने सावधानी बरतने और निरंतर निगरानी पर जोर देने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि केवल गिनती के मामलों का कोई मतलब नहीं है। हालांकि दिल्ली में मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती लोगों की संख्या में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है।
महामारी विज्ञान और वैज्ञानिक साक्ष्यों को देखते हुए दिल्ली में मामलों में मौजूदा वृद्घि चौथी लहर की शुरुआत नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्स कोव-2 (ै।त्ै ब्वट-2) लंबे समय तक हमारे साथ रहने वाला है और इसलिए ऐसा कभी नहीं होता जब नए मामले शून्य होंगे। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 501 ताजा मामलों के साथ दिल्ली की कोविड-19 संक्रमण दर सोमवार को बढ़कर 7़72 प्रतिशत हो गई। पिछली बार शहर में संक्रमण दर सात प्रतिशत से ऊपर थी, 29 जनवरी में 7़4 प्रतिशत और 28 जनवरी में 8़6 प्रतिशत।
यह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को दर्ज की गई भारत की समग्र संक्रमण दर 0़31 प्रतिशत के ठीक उलट है और 1,247 कोरोना वायरस मामले दर्ज हुए हैं। वैज्ञानिकों के पास इसका सटीक उत्तर नहीं हैं, अमेरिका स्थित संक्रामक रोग विशेषज्ञ अमिता गुप्ता ने कहा कि दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में मामलों में वृद्घि हल्के प्रतिबंधों, महामारी के फैलाव और वायरस की उच्च संचरण क्षमता का परिणाम हो सकती है।
महामारी की शुरुआत से ही भारत के कोविड-19 मामलों पर नजर रख रहे मडलर मनिंद्र अग्रवाल ने इससे सहमति व्यक्त की है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (प्प्ज्) कानपुर के एक प्रोफेसर अग्रवाल ने पीटीआई को बताया कि सामाजिक मेलजोल में बढ़ोतरी, पाबंदियों को कम करना और मास्क अनिवार्यता को हटाना कोविड मामलों में वृद्घि के संभावित कारण हैं। अग्रवाल ने कहा, चौथी लहर का भी फिलहाल कोई संकेत नहीं है। ऐसा तभी होगा जब एक नया म्यूटेशन होगा।
महामारी विज्ञानी रामनन लक्ष्मीनारायण ने कहा कि परीक्षण दरों में गिरावट आई है, यह नहीं बताया जा सकता कि क्या सामने आ रहे नए मामले स्थिति का सही संकेत हैं। वशिंगटन और नई दिल्ली में सेंटर फर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनमिक्स एंड पलिसी के निदेशक लक्ष्मीनारायण ने कहा कि कोरोना जांच की संख्या कम हो गई है कई मामलों का पता नहीं चल रहा है, लेकिन जहां मामले सामने आ रहे हैं, वहां अस्पताल में भर्ती होने की संख्या पर ध्यान केंद्रित करना होगा।