सियाचिन/लेह , लद्दाख स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में मंगलवार को एक भीषण हिमस्खलन की चपेट में आने से भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए। सेना से मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, पांच अन्य जवान अभी भी बर्फ में फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने के लिए सेना और वायुसेना का बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।
यह दर्दनाक हादसा उस वक्त हुआ जब महार रेजिमेंट के जवान बेसकैंप के पास लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर गश्त कर रहे थे। तभी अचानक आए बर्फीले तूफान ने पूरी पेट्रोलिंग पार्टी को अपनी चपेट में ले लिया। सेना की टीमों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक कैप्टन को सुरक्षित बचा लिया है। शहीद हुए जवान गुजरात, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले थे।
घटना की सूचना मिलते ही लेह और उधमपुर से सेना की विशेषज्ञ हिमस्खलन बचाव टीमों (्रक्रञ्ज) को तुरंत मौके पर रवाना कर दिया गया। भारतीय वायुसेना के चीता और रूद्ब-17 हेलीकॉप्टरों को भी बचाव कार्य में लगाया गया है ताकि फंसे हुए जवानों को जल्द से जल्द निकालकर अस्पताल पहुंचाया जा सके। हालांकि, शून्य से 60 डिग्री नीचे के तापमान और दुर्गम बर्फीले इलाके के कारण बचाव कार्य में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि सियाचिन ग्लेशियर कराकोरम पर्वत श्रृंखला में 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसे दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे मुश्किल युद्धक्षेत्र माना जाता है, जहां सैनिकों को दुश्मन की गोलियों से ज्यादा प्रकृति के क्रूर प्रहार से लड़ना पड़ता है। 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूतÓ के तहत भारत द्वारा इस क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद से अब तक 1,000 से अधिक भारतीय सैनिक मौसम की चरम स्थितियों और हिमस्खलन जैसी घटनाओं के कारण अपना सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। सेना ने हाल के वर्षों में बुनियादी ढांचे में सुधार किया है, लेकिन यहां का जानलेवा मौसम आज भी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।