जिले के पांच दिव्यांगजों को मिलेगा राज्य स्तरीय सम्मान

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : विश्व दिव्यांग दिवस पर पौड़ी जिले के पांच दिव्यांगजनों को सम्मानित किया जाएगा। इस साल जिले से 5 दिव्यांगजन राज्य स्तरीय सम्मान के लिए चयनित हुए हैं। जिसमें दो दक्ष दिव्यांग कर्मचारी और तीन स्वयं-रोजगार के माध्यम से आजीविका अर्जित कर रहे दिव्यांगजन शामिल हैं।
3 दिसबंर को विश्व दिव्यांग दिवस पर राज्य सरकार द्वारा दक्ष दिव्यांग कर्मचारियों, स्वयं रोजगार में संलग्न दिव्यांग व्यक्तियों, दक्ष दिव्यांग खिलाड़ियों, सेवा-योजकों व प्लेसमेंट अधिकारियों को राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। पौड़ी के अपर जिला समाज कल्याण अधिकारी अनिल सेमवाल ने बताया कि दो दक्ष दिव्यांग कर्मचारी और तीन स्वयं-रोजगार के माध्यम से आजीविका अर्जित कर रहे दिव्यांगजन इसमें शामिल हैं। चयनित दिव्यांग कर्मचारियों में शिक्षा विभाग में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रक्षा नेगी और पशुपालन विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी मनीष रावत हैं। रक्षा नेगी अपनी प्रशासनिक दक्षता, समयबद्ध कार्य-संयोजन और जिम्मेदारियों के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती हैं। वहीं मनीष रावत ने ग्राम्य क्षेत्रों में पशुपालन सेवाओं को मजबूत बनाने, किसानों के साथ निरंतर संवाद कायम रखने और तकनीकी सहायता प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाई। स्व-रोजगार श्रेणी में चयनित सूरज कुमार, दीपक और शुभम जोशी ने सीमित संसाधनों और शारीरिक चुनौतियों के बावजूद अपने दम पर आजीविका के मजबूत स्रोत विकसित किए हैं। बीरोंखाल ब्लाक के ग्राम कसाणी निवासी सूरज कुमार ने सीएससी सेंटर संचालन, डिजिटल सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से संबंधित काम को रोजगार का जरिया बनाया है। तहसील पौड़ी के ग्राम काण्डई के दीपक ने बकरी पालन को योजनाबद्ध ढंग से विकसित कर इसे सफल व्यवसाय का रूप दिया। वहीं ग्राम कसाणी के ही शुभम जोशी ने फैब्रिकेशन कार्य को अपने कौशल और मेहनत के बल पर आजीविका का आधार बनाया है और दूसरों के लिए प्रेरणा बने है।

सम्मान से मिलता है कर्तव्य-निर्वहन में उत्साह
सम्मान की सूचना पर मनीष रावत ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार द्वारा दिव्यांग कर्मचारियों को सम्मानित किया जाना प्रेरणादायक हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी पहलें न केवल कार्यस्थल पर ऊर्जा बढ़ाती हैं, बल्कि कर्तव्य-निर्वहन में उत्साह और मानसिक संतोष भी होता है। इस प्रकार का सम्मान समाज में दिव्यांगजन की भागीदारी को और अधिक सशक्त बनाता है।

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