उत्तराखंड

वन श्रमिक संघ ने की वर्चुअल बैठक

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नई टिहरी। उत्तराखंड वन श्रमिक संघ ने वर्चुअल बैठक कर विभिन्न मांगों पर चर्चा करते हुये रणनीती बनाई। वन श्रमिकों का कहना है कि विनियमितीकरण न होने से उनको भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिस पर सरकार को गौर करना चाहिए। बैठक में वन श्रमिकों ने अवगत कराया कि वन विभाग में कार्यरत वाहन चालक, कम्प्यूटर आपरेटर, वीट सहायक व चतुर्थ श्रेणी में रिक्त पदों पर वन श्रमिक काम कर रहे हैं। जिन्हें समायोजित करने का काम किया जाय। वन श्रमिकों ने मांगों पर चर्चा करते हुये कहा कि पूर्व की भांति वन विभाग में 65 प्रतिशत भर्ती बहाल करने, उच्च व सर्वोच्च न्यायलय में पारित आदेशों को लागू करने व सेवारत वन श्रमिकों को विनियमित करने का काम होना चाहिए। वन श्रमिकों ने बताया कि वन विभाग में लंबे समय से उन्होंने सेवायें देकर अपना पूरा जीवन लगाया है। वन श्रमिक वन तस्करों को रोकऐ, वनाग्नि नियंत्रण करने व मानव-वन्य जीवन संघर्ष जैसी घटनाओं का भी निरंतर सामना करते हैं। लगातार अपनी सेवाओं को कर्तव्यनिष्ठा के साथ दे रहे हैं, लेकिन उनकी लंबित मांगों पर कहीं कोई गौर होता नहीं दिखता है। जिससे वन श्रमिकों को आर्थिक परेशानियों सहित जीवन यापन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड 19 में वन श्रमिकों ने अपनी सेवायें तत्परता से दी हैं। वन विभाग की 2016 की नियमावली को संशोधित कर पूर्व नियमावली 2003 की भांति किया जाय और 65 प्रतिशत पदों पर वन श्रमिकों को समायोजित किया जाय। बैठक में सम्मिलित होने वालों में दैनिक श्रमिक संघ के अध्यक्ष जय सिंह कंडारी, सचिव रमेश थपलियाल, मीडीया प्रभारी दीपक रजवार, प्यार सिंह मनवाल, हरिराम, विनोद, परमानंद, विकास बहुगुणा आदि शामिल रहे।

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