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पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को मिली अंतरिम जमानत, दो सप्ताह के लिए जेल से बाहर

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-उन्नाव रेप केस
उन्नाव, रेप केस मामले में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक और नेता कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को मेडिकल आधार पर दो हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सेंगर को एम्स नई दिल्ली में भर्ती कराया जाएगा। चिकित्सा अधीक्षक अदालत को सुझाव देंगे कि क्या उनका इलाज एम्स में संभव है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं और उन्हें दी गई 10 साल की जेल की सजा को चिकित्सा आधार पर निलंबित कर दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कुलदीप की याचिका को लेकर मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा था।
उच्च न्यायालय ने जेल अधिकारियों से सेंगर की चिकित्सा स्थिति पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा और याचिका को अगले साल 13 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा, ‘‘नोटिस केवल चिकित्सा आधार तक ही सीमित है।’’ सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय ने इस वर्ष जून में सेंगर की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील लंबित रहने तक उनकी सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया था। सेंगर के वकील ने कहा कि वह चिकित्सा आधार पर सजा को निलंबित करने का अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और यह चिकित्सा के लिहाज से एक गंभीर स्थिति है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत के दोषसिद्धि और सजा के आदेश को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पर लंबे समय से सुनवाई नहीं हुई है और वह पिछले आठ वर्ष से जेल में है, जबकि इस मामले में सेंगर को अधिकतम 10 साल की सजा दी गई थी।
सेंगर को पहले ही पीडि़त की नाबालिग बेटी से बलात्कार का दोषी ठहराया जा चुका है और उस मामले में उसे जीवन पर्यंत कारावास की सजा सुनाई गई है। मुख्य उन्नाव बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पहले से ही उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने 16 दिसंबर, 2019 को निचली अदालत के उस फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्हें बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। सेंगर ने 20 दिसंबर, 2019 को उन्हें जीवन पर्यंत कारावास की सजा सुनाए जाने के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है।
सेंगर ने 2017 में पीडि़त का अपहरण कर उससे बलात्कार किया था। घटना के वक्त वह नाबालिग थी। 13 मार्च, 2020 को निचली अदालत ने सेंगर को बलात्कार पीडि़ता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। निचली अदालत ने कहा था कि परिवार के ‘‘एकमात्र कमाने वाले’’ की हत्या के लिए ‘‘कोई नरमी’’ नहीं बरती जा सकती। अदालत ने बलात्कार पीडि़ता के पिता की हिरासत में हत्या में भूमिका के लिए सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य लोगों को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी। लडक़ी के पिता को सेंगर के इशारे पर शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और पुलिस के उत्पीडऩ के कारण नौ अप्रैल, 2018 को हिरासत में उनकी मौत हो गई थी।
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