ईडी की पूछताछ मामले में पार्टी में अकेले पड़े पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, राजा वड़िंग का टिप्पणी से इन्कार
चंडीगढ़, एजेंसी। अवैध रेत खनन मामले में परिवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अब अपनी पार्टी में ही अकेले पड़ने लगे हैं। तीन माह पहले जब ईडी ने चन्नी के भांजे भुपिंदर सिंह हनी को गिरफ्तार किया था तो पूरी कांग्रेस चन्नी के समर्थन में उतर आई थी और अब जब चन्नी ईडी के सामने पेश हुए तो पार्टी के किसी भी नेता ने ‘चू’ तक नहीं की।
यहां तक कि जब चन्नी जालंधर में ईडी के दफ्तर गए तो उनके साथ पार्टी का कोई भी नेता नहीं था। चन्नी ने खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी कि ईडी ने उन्हें सम्मन कर पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया था। वह ईडी के अधिकारियों के समक्ष पेश हुए।
अहम पहलू यह है कि जनवरी महीने में जब ईडी ने भुपिंदर सिंह हनी को 10 करोड़ रुपये के साथ गिरफ्तार किया था तो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता भी इस पूरे मामले को राजनीतिक रंगत देने के लिए फील्ड में उतर आए थे। कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई के बावजूद विधान सभा चुनाव में चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया।
राहुल गांधी ने खुद आकर चन्नी के नाम की घोषणा की। कांग्रेस ने यह संकेत दिया कि ईडी की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। यहां तक की कांग्रेस ने चन्नी के नाम पर एससी कार्ड भी खेला। चुनाव में मिली करारी और और एससी कार्ड फ्लाप होने के बाद अब कांग्रेस ने चन्नी से किनारा करना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस के किसी भी नेता ने चन्नी के समर्थन में न तो कोई बयान दिया और न ही किसी ने इंटरनेट मीडिया पर आकर अपनी बात रखी। वहीं, आप के प्रवक्ता मालविंदर सिंह कंग ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या कांग्रेस चन्नी के भ्रष्टाचार के साथ खड़ी है।
कंग ने कहा कि चन्नी के काले कारनामे जल्द ही उजागर होंगे। बता दें कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री अंबिका सोनी ने चन्नी को पार्टी की संपत्ति बताया था। हालांकि सुनील जाखड़ ने अंबिका सोनी का यह कहते हुए जवाब दिया था कि चन्नी संपत्ति नहीं बल्कि पार्टी के लिए बोझ है, जबकि चन्नी को लेकर पूर्व प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्घू भी कह चुके हैं कि वह उन लोगों के साथ नही खड़े होंगे जिनके घर से पैसे पकड़े गए हों।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस इसलिए भी चन्नी के साथ खड़ी नजर नहीं आ रही है, क्योंकि ईडी की छापेमारी के बावजूद चन्नी के साथ खड़े रहने के कारण चुनाव में पार्टी को खासा नुकसान झेलना पड़ा। राज्य की 34 सुरक्षित सीटों में से कांग्रेस के हिस्से मात्र 5 सीटें ही आई, जबकि 28 सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी विजयी रहे। एक सीट पर शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी की जीत हुई।