जब तक चिदंबरम रहे, अफजल गुरु को फांसी नहीं हुई, शाह के दावों का पूर्व गृह मंत्री ने किया खंडन

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नई दिल्ली, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने गुरुवार को आतंकवादी अफजल गुरु की फांसी के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दावों का खंडन किया है. उन्होंने कहा कि शाह का आरोप, झूठ और तोड़-मरोड़ का मिश्रण है.
एक्स पोस्ट में चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी से संबंधित कार्यवाही भारत के गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान नहीं हुई थी. चिदंबरम ने आगे कहा कि, गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बयान दिया कि, जब कि, पी चिदंबरम गृह मंत्री थे, तब तक अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जा सकती थी. चिदंबरम ने कहा कि, अमित शाह ने तोड़-मरोड़कर बयान पेश किया है.
घटनाक्रम का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने आगे कहा, अदालतों द्वारा दोषसिद्धि और सजा सुनाए जाने के बाद अफजल गुरु की पत्नी ने उसकी ओर से अक्टूबर 2006 में भारत के राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की. राष्ट्रपति ने 3 फरवरी 2013 को दया याचिका खारिज कर दी. अफजल गुरु को छह दिन बाद 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई. चिदंबरम ने कहा कि, वे 1 दिसंबर 2008 और 31 जुलाई 2012 के दौरान गृह मंत्री थे.
चिदंबरम ने आगे कहा कि, इस पूरी अवधि के दौरान, अफजल गुरु की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष लंबित रही. कानून यह है कि जब तक दया याचिका का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक मृत्युदंड की सजा पर अमल नहीं किया जा सकता.
चिदंबरम की यह टिप्पणी अमित शाह के राज्यसभा में पूर्व गृह मंत्री की ऑपरेशन सिंदूर पर की गई सबूत वाली टिप्पणी की आलोचना के बाद आई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अपने बयान में कहा कि, जब तक चिदंबरम गृह मंत्री थे, तब तक अफजल गुरु को फांसी की सजा नहीं दी गई थी. उन्होंने कांग्रेस नेता पर यह सवाल उठाने के लिए निशाना साधा कि आतंकवादी देशी थे या पाकिस्तान से आए थे.
शाह ने कहा कि, चिदंबरम ने उनके इस्तीफे की मांग की और ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाए. उन्होंने बार-बार इस सबूत को चुनौती दी कि पहलगाम हमले में शामिल लोग पाकिस्तानी आतंकवादी थे. शाह ने सवाल किया, आज, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वह किसे बचाने की कोशिश कर रहे थे…पाकिस्तान को.. लश्कर-ए-तैयबा को.. या फिर आतंकवादियों को..क्या आपको इस पर शर्म नहीं आती.शाह ने कहा कि, लेकिन ईश्वर की कृपा से, जिस दिन उन्होंने ये सवाल उठाए, उसी दिन तीनों आतंकवादी मारे गए.
यूपीए कार्यकाल में गृह मंत्री रहे चिदंबरम ने हाल ही में कहा था कि सरकार यह बताने को तैयार नहीं है कि एनआईए ने इतने हफ्तों में क्या किया है. क्या उन्होंने आतंकवादियों की पहचान की है, वे कहां से आए थे? मेरा मतलब है, जहाँ तक हम जानते हैं, वे स्थानीय आतंकवादी हो सकते हैं. आप यह क्यों मान रहे हैं कि वे पाकिस्तान से आए थे. इसका कोई सबूत नहीं है. वे नुकसान भी छिपा रहे हैं.

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