महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व अधिकारी बोले-मालेगांव मामले में भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश थे

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मुंबई, महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के एक पूर्व अधिकारी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। मामले की प्रारंभिक जांच करने वाले सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर महिबूब मुजावर ने गुरुवार को सोलापुर में दावा किया कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को पकड़ने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने दावा किया कि ये आदेश कथित भगवा आतंकवाद की झूठी कहानी गढ़ने के उद्देश्य से जारी किए गए थे।
मुजावर ने कहा कि जांच एक नकली अधिकारी की गई थी, जो पूरी तरह झूठी और दिखावा था। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले ने एक नकली अधिकारी द्वारा की गई फर्जी जांच को उजागर कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और भागवत सहित कई व्यक्तियों को पकड़ने के गोपनीय निर्देश दिए गए थे। मुजावर ने बताया कि उन्होंने आदेशों का पालन नहीं किया था।
मुजावर ने बताया कि मोहन भागवत जैसे विशाल व्यक्तित्व को पकड़ना उनकी क्षमता से परे था, इसलिए उन्होंने आदेशों का पालन नहीं किया। इसके एवज में उनके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज किया गया, जिसने उनके 40 साल के करियर को बर्बाद कर दिया। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कह सकता कि एटीएस ने तब क्या जांच की और क्यों की, लेकिन ये आदेश ऐसे नहीं थे कि उनका पालन किया जा सके।
मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में विस्फोटक लगाकर धमाका किया गया। धमाके में 6 लोगों की मौत हुई। मामले की जांच पहले एटीएस ने की, जो 2011 में एनआईए को सौंपी गई। 2017 में प्रज्ञा को जमानत मिली। कोर्ट ने गुरुवार को साध्वी प्रज्ञा समेत लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, अभिनव भारत संस्था के सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकरधर द्विवेदी को बरी कर दिया।

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