बार-बार मुख्यमंत्री बदलना भाजपा नेताओं की सत्ता लालसा: वामपंथी दल

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कहा भाजपा का राज्य की स्थिति से नहीं है कोई लेना देना
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। उत्तराखंड में बार-बार मुख्यमंत्री बदले जाने पर वामपंथी दलों ने इसे भाजपा नेताओं की सत्ता लालसा बताया है। माकपा व भाकपा के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रचंड बहुमत की सरकार के बावजूद जिस तरह मुख्यमंत्री बदले जा रहे हैं, वह भाजपा के नकारेपन और अंदरूनी कलह का स्पष्ट सबूत है। भाजपा को राज्य की स्थिति से कोई लेना देना नहीं है।
भाकपा (माले) के राज्य कमेटी सचिव इंद्रेश मैखुुरी का कहना है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के अंदर चलने वाली चूहा दौड़ निंदनीय है, जिस तरह से प्रचंड बहुमत की सरकार के बावजूद मुख्यमंत्री बदले जा रहे हैं, वह भाजपा के नकारेपन और अंदरूनी कलह का स्पष्ट सबूत है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि भाजपा नेताओं को सिर्फ सत्ता की लालसा है। राज्य की स्थिति से उनका कोई लेना-देना नहीं है। विधानसभा चुनाव के चंद महीने पहले तीसरा मुख्यमंत्री बनाना दर्शाता है कि 2017 में जिस डबल इंजन के डबल विकास का वायदा मोदी उत्तराखंड के लोगों से करके गए थे। वह डबल इंजन पूरी तरह से पटरी से उतर चुका है। भाकपा के राज्य सचिव समर भंडरी ने कहा कि बीते बीस सालों में भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की सत्तालोलुपता ने उत्तराखंड के केवल मुख्यमंत्री उत्पादक प्रदेश बना कर रख दिया है। उत्तराखंड राज्य के साथ जो जनाकांक्षाएं जुड़ी हुई थी, वे बीते दो दशक में धराशायी हो गयी हैं। पलायन, रोजगार, जल-जंगल-जमीन पर अधिकार जैसे तमाम सवाल हाशिये पर चले गए हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। लेकिन सत्ताधारी दलों के लिए प्राथमिकता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में जीत हासिल करना है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद उत्तराखंड में व्यापार-व्यवसाय ठप है। भाजपा सरकार के कुप्रबंधन को देखते हुए उच्च न्यायालय ने चार धाम यात्रा पर रोक लगा दी है। इसके चलते इस यात्रा पर रोजगार के लिए निर्भर लोगों के सामने दूसरे साल रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। नर्सिंग भर्ती की बार-बार बदलती तारीखों के बीच पैसे के लेनदेन की चर्चा चल पड़ी है। तीरथ सिंह रावत तब भर्तियों का ऐलान कर रहे थे, जबकि वे खुद मुख्यमंत्री से कुर्सी से हाथ धोने वाले थे। जो उत्तराखंड के बेरोजगारों के साथ छल है।
माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी ने कहा कि बीते साढ़े चार सालों में कोई पीसीएस की परीक्षा तक नहीं हुई। तीरथ सिंह रावत अपने हास्यास्पद बयानों और कुंभ टेस्टिंग घोटाले जैसी बातों के लिए ही याद किए जाएंगे। दिल्ली के रिमोट कंट्रोल से उत्तराखंड को चलाने की कोशिशें निंदनीय और उत्तराखंड की जनता के जनमत का अपमान है। वामपंथी दलों के नेताओं ने कहा कि वामपंथी पार्टियां उत्तराखंड की जनता से आह्वान करती हैं कि वे जनता के जनमत का मखौल उड़ाने वालों को सबक सिखाते हुए जनता के संघर्षों के साथ खड़ी ताकतों के पक्ष में एकजुट हों।

भाजपा राजनीतिक अस्थिरता की जननी: राजपाल
राजपाल बिष्ट, कांग्रेस एआईसीसी सदस्य ने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा राजनीतिक अस्थिरता की जननी है। चार साल में 3 मुख्यमंत्री और अभी तक कुल 11 मुख्यमंत्रियों में 9 भाजपा के पाले में ही हैं। इस राजनीतिक अस्थिरता के चलते प्रदेश के बुनियादी मुद्दे नैपथ्य में चले गए हैं। भाजपा ने मुख्यमंत्री बदलने के सिवा उत्तराखंड में कोई कार्य ही नहीं किया है। पुष्कर धामी मेरे मित्र हैं, उन्हें मुख्यमंत्री बनने की हार्दिक शुभकामनाएं।

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