इंटरनेट के चक्र चाल में भविष्य
इंटरनेट के बढ़ते हुए युग में कई ऐसी व्याधियों भी हमारे समाज में व्याप्त हो गई है जो कहीं ना कहीं नकारात्मक असर पैदा कर रही हैं। अभी हाल ही में एक समाचार काफी चर्चाओं में रहा जिसमें 16 वर्ष का बच्चा मोबाइल न मिलने पर घर छोड़कर चला गया जो दो दिन बाद पुलिस के हाथ लगा। पूछने पर उसने बताया कि उसे गेम खेलने के लिए फोन नहीं मिलता था लिहाजा वह नाराज होकर चला गया। ऐसी घटनाएं आज हर घर में हो सकती है यदि समय पर अभिभावक जागरूक न हुए। मोबाइल फोन की लत को लेकर ही हत्या का भी एक मामला प्रकाश में आया था जिसमें एक लड़के ने अपनी ही मन पर हमला बोल दिया था। मोबाइल और इंटरनेट की आसान पहुंचने जहां सुविधा उत्पन्न की हैं वहीं कई ऐसे संकट भी हमारे सामने लाकर खड़े कर दिए हैं जिनसे निपटना मुश्किल होता जा रहा है। खास तौर से बच्चों के मामले में यह समस्या अब विकराल रूप धारण कर चुकी है। समस्या यह है कि आखिर बच्चों को इस बीमारी से दूर कैसे किया जाए, जबकि प्रारंभिक शिक्षा में भी अब मोबाइल का प्रयोग आम बात हो चुकी है। यहां सबसे बड़ी भूमिका माता-पिता की है जो यह निर्धारित करें की कितना समय बच्चों को देना है और यह ध्यान रखना है कि वह मोबाइल या इंटरनेट का किस प्रकार से प्रयोग कर रहे हैं? इंटरनेट पर चलने वाले विभिन्न गेम एवं दूसरे ऐप्स बच्चों को बुरी तरह से जकड़ चुके हैं। इसके लिए कहीं ना कहीं माता-पिता भी जिम्मेदार हैं जो अपने वक्त के लिए बच्चों को मोबाइल के भरोसे छोड़ देते हैं और कब बच्चे मोबाइल इंटरनेट गेम की चपेट में आ जाते हैं पता ही नहीं चलता। भूलना नहीं चाहिए कुछ समय पूर्व एक गेमिंग एप ने तो कई बच्चों की जिंदगी तक खतरे में डाल दी थी जिस पर बाद में सरकार को इस गेम को हीन्प्रतिबंधित करना पड़ा। इंटरनेट का साम्राज्य फैलने के साथ ही बच्चे ऐसे परंपरागत खेलों से दूर हो चुके हैं जो सेहत के साथ-साथ मानसिक विकास के लिए भी काफी उपयोगी थे। आज बाहरी खेलों के नाम पर चंद खेल ही बच्चों की सूची में शामिल है जबकि गांव कस्बा में खेले जाने वाले खेल लगभग विलुप्त हो चुके हैं। बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए माता-पिता की यह भूमिका बेहद अहम है कि वह मोबाइल के प्रयोग को लेकर सतर्कता बरतें और छोटे बच्चों को किसी भी सूरत में मोबाइल से दूर रखें। बच्चों की शरारतों एवं उनसे पीछा छुड़ाने के लिए मोबाइल थामना समाधान नहीं बल्कि एक बड़ी समस्या है जिसका आभास यदि समय पर हो जाए तो न केवल माता-पिता के लिए बल्कि बच्चों एवं समाज के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होगा।