गढ़वाल विवि : अब बिना पौधों के घर के अंदर उत्पादित होगी आक्सीजन
-गढ़वाल विवि के शिक्षक व शोध छात्रों ने तैयार किया यंत्र
राजीव खत्री,
श्रीनगर। अब घर के अंदर बिना पौधों के भी आक्सीजन तैयार होगी। गढ़वाल विवि के शिक्षक और शोध छात्रों ने एक यंत्र तैयार किया है। इस यंत्र का नाम एल्ग फ्लो दिया गया है। इस यंत्र में नील हरित जीवाणु (ब्ल्यू ग्रीन वैक्टीरिया) उगाए जाएंगे और इन नील हरित जीवाणुओं से ऑक्सीजन उत्पादित होगी। जिससे घर के अंदर बिना पौधों के भी प्रचुर मात्रा में आक्सीजन रहेगी। गढ़वाल विवि के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ी है।
विवि में माइक्रो बायोलॉजी विभाग के शिक्षक और शोध छात्रों ने एक यंत्र तैयार किया है। जिस यंत्र में नील हरित जीवाणु उगाए जा सकते हैं। नील हरित जीवाणु एक निश्चित समयावधि तक अच्छी मात्रा में आक्सीजन का उत्पादन करते हैं। इस यंत्र को एल्ग फ्लो का नाम दिया गया है। इसे घर के अंदर कहीं भी रखा जा सकता है। इसे तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले माइक्रो बायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर राहुल कुंवर सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में कोरोना महामारी के दौरान सरकार व आम लोगों के लिए ऑक्सीजन एक चुनौती बनी रही। इसी चुनौती ने हमारा ध्यान इस ओर खींचा कि कैसे घर के अंदर बिना पौधों के ऑक्सीजन उत्पादित हो सकती है। उनकी टीम में शोध छात्रा प्रीति सिंह और राहुल भी शामिल थे।
कैसे बनाया एल्ग फ्लो
डॉ. राहुल कुंवर सिंह ने बताया कि एल्ग फ्लो बनाने के लिए सबसे पहले एक-डेढ़ लीटर के छोटे कंटेनर की व्यवस्था की गई। इस कंटेनर में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि इसमें हवा और प्रकाश की उचित व्यवस्था हो। इसके लिए कंटेनर को इस तरह से आधा खुला रखा गया कि उसमें हवा तो अंदर जा सके, लेकिन कोई अन्य जीवाणु या पदार्थ न जा पाए। उचित प्रकाश व्यवस्था के लिए कंटेनर के अंदर एलईडी बल्ब लगाए गए। इनके बल्बों को जलाने के लिए चार्जेबल बैटरी लगाई गई है, इस तरह एल्ग फ्लो तैयार हुआ।
कैसे उत्पादित होती है ऑक्सीजन
एल्ग फ्लो के कंटेनर में पानी डाला जाता है। पानी में नील हरित जीवाणु (ब्ल्यूग्रीन वैक्टीरिया) के बीज डाले जाते हैं। पानी में मौजूद पौषक तत्व हवा और प्रकाश की उपस्थिति में नील हरित जीवाणु (ब्ल्यूग्रीन वैक्टीरिया) उगाते हैं। करीब 20 दिनों तक इस एल्ग फ्लो में काफी अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन उत्पादित होती है। 20 दिन बाद नील हरित जीवाणु (ब्ल्यूग्रीन वैक्टीरिया) पूरी तरह उग जाते हैं। जिससे ये वैक्टरिया आक्सीजन के अलावा अन्य हानिकारक पदार्थों का उत्पादन भी शुरू कर देते हैं। तब इन्हें निकालकर घर के गमलों में डाल सकते हैं। जहां यह खाद का काम करते हैं। 20 दिन बाद फिर एल्ग फ्लो में नए पानी के साथ बीज डालने पड़ते हैं। एल्ग फ्लो में नील हरित जीवाणु की ऐनाबैना प्रजाति उगाई जाती है।