घने जंगल और संवेदनशील क्षेत्रों में खनन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और सात राज्यों को भेजा नोटिस
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के घने जंगल और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में खनन की अनुमति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है।मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र और छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना से प्रतिक्रिया मांगी और मामले को जनवरी में सुनवाई के लिए कहा। वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को झारखंड सरकार के इस दावे का संज्ञान लिया कि खनन काम बंद होने के पश्चात खदान के पट्टाधारकों द्वारा खनन वाले इलाके में फिर से घास लगाने के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। शीर्ष न्यायालय इसके लिए संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केन्द्र से कहा कि झारखंड में व्यावसायिक खनन के लिये कोयला खदानों की ई-नीलामी के बाद शीर्ष अदालत की अनुमति के बगैर खुदाई नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि न्यायालय के निर्देशो का पालन नहीं होने की स्थिति में संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ वह कार्रवाई कर सकता है। पीठ ने कहा हमारी अनुमति के बगैर झारखंड में खनन के लिए खुदाई शुरू नहीं की जायेगी।
शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि खनन कार्य के दौरान घास पूरी तरह से खत्म हो जाती है और उसने आठ जनवरी को सरकार को निर्देश दिया था कि खदानों के पट्टाधारकों पर यह शर्त लगाई जाये कि खदान में खनन काम बंद होने के बाद उन्हें खदान वाले क्षेत्र में फिर से घास लगानी होगी।
न्यायालय ने देश के अनेक हिस्सों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के खिलाफ एक अन्य याचिका पर यह आदेश पारित किया था। न्यायलाय ने केन्द्र से कहा था कि वह इस शर्त के अनुपालन के लिए उचित तरीका खोजे।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सोमवार को सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से अधिवक्ता तापेश कुमार सिंह ने पीठ को बताया कि खदान वाले क्षेत्र में फिर से घास लगाने के उसके निर्देश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
इस पर पीठ ने कहा कि अटार्नी जनरल, अगर हमारे आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो हम संबंधित लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई कर सकते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे आदेश का सख्ती से पालन हो। मवेशियों के चरने के लिये फिर से घास लगाना जरूरी है। न्यायालय ने सिंह से कहा कि वह इस संबंध में अटार्नी जनरल को विवरण उपलब्ध करायें ताकि वह इस पर गौर कर सकें।
पीठ झारखंड में व्यावसायिक खनन के लिए कोयला खदानों की ई-नीलामी के मुद्दे पर राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि इस मामले में जनवरी में सुनवाई की जायेगी। झारखंड सरकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरिमन ने कहा कि चूंकि यह मामला जनवरी में सूचीबद्घ है, इसलिए कोई स्वतंत्र प्राधिकारी संबंधित स्थलों का निरीक्षण कर सकते हैं।