गोपेश्वर: दो दिन घर में ही तड़पती रही प्रसव पीड़िता, 18 किमी पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल, नवजात को दिया जन्म
गोपेश्वर। जोशीमठ विकासखंड के दूरस्थ क्षेत्र डुमक गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दो दिनों तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही महिला को 18 किलोमीटर पैदल चलकर किसी तरह से जिला मुख्यालय गोपेश्वर पहुंचाया गया। इस दौरान, प्रसव पीड़ा महिला ने नवजात शिशु को जन्म दिया। बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वास्थ्य हैं।
पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति सरकार कितनी गंभीर है। आए दिन पहाड़ में हो रही घटनाएं सरकार के पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल रही है। दूरस्थ गांव डुमक की दीपक सिंह की पत्नी दीक्षा देवी की सोमवार की रात्रि से प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते मंगलवार को पूरे दिन महिला घर पर ही प्रसव पीड़ा से तड़पती रही।
ग्रामीणों ने जब प्रसव पीड़ित महिला की हालात गंभीर देखी तो गुरुवार की सुबह गांव के युवाओं व बुजुर्गों ने गांव में आपदा विभाग की ओर से 2013 में दिए गए खस्ताहाल स्ट्रेचर को डंडियों और रस्सियों से बांधकर करीब 18 किलोमीटर चलकर प्रसव पीड़िता को कुजौं मैकोट गांव में पहुंचाया, जहां से 14 किमी सड़क मार्ग से प्रसव पीड़ा महिला को देर शाम जिला चिकित्सालय गोपेश्वर लाया गया। जिला चिकित्सालय में प्रसव पीड़ित महिला ने नवजात शिशु को जन्म दिया।
डुमक गांव के यशवंत सिंह, सूरज सिंह भंड़ारी, बच्चन सिंह नेगी, नरेंद्र सिंह और योगम्बर सिंह का कहना है कि गांव में आए दिन बीमार ग्रामीणों और प्रसव पीड़िता से स्वास्थ्य सुविधाओं व सड़क के अभाव में आए दिन भारी मुसीबतों से गुजरना पड़ता है। गांव में सड़क व स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार एक ओर जहां पहाड़ों से पलायन रोकने व बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करती है, वहीं पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।