कुष्ठ रोगियों के आवासों के लिए जल्द निर्णय ले सरकार: हाईकोर्ट
नैनीताल। हाईकोर्ट ने हरिद्वार स्थित गंगा किनारे समेत अन्य स्थानों से कुष्ठ रोगियों के हटाने के खिलाफ स्वतरू संज्ञान की जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि कुष्ठ रोगियों के आवास के लिए दी गई डीपीआर पर 2 जनवरी से पहले निर्णय लें। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार देहरादून के एनजीओ एक्ट नाव वेलफेयर सोसाइटी ट्रस्ट की ओर से मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा गया था। जिसमें कहा गया कि सरकार ने पिछले दिनों हरिद्वार में गंगा के किनारे व अन्य स्थानों से अतिक्रमण हटाने के दौरान यहां बसे कुष्ठ रोगियों को भी हटा दिया। अब इनके पास न घर है, और न रहने की कोई व्यवस्था है। भारी बारिश में कुष्ठ रोगी खुले में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। खंडपीठ ने इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया। पत्र में कहा गया 2018 में राष्ट्रपति के दौरे के दौरान तत्कालीन डीएम ने चंडीघाट स्थित गंगा माता कुष्ठ रोग आश्रम के साथ ही उनके अन्य आश्रमों को भी तोड़ दिया। जिससे वह आश्रम विहीन हो गए। जबकि गंगा माता कुष्ठ रोग आश्रम के आसपास अन्य सात बड़े कुष्ठ रोग आश्रम भी हैं। जिन्हें नहीं तोड़ा गया। क्योंकि वह उच्च राजनीतिक प्रभाव वाले व्यक्तियों के हैं। कहा सरकार सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। पत्र में कहा गया कि सरकार उनका पुर्नवास के साथ ही उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए।
वहीं, मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है ठंड का समय शुरू हो गया है। सचिव शहरी विकास, सचिव समाज कल्याण व जिलाधिकारी हरिद्वार से पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के कुष्ठ रोगियों के उत्थान के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन की क्या स्थिति है। संबंधित रिपोर्ट पेश की जाए। कुष्ठ रोग उन्मूलन अधिकारी द्वारा कोर्ट में शपथपत्र पेश कर कहा गया, कि उन्होंने पूर्व के आदेश के अनुपालन में सरकार को कुष्ठ रोगियों के 16 आवास के लिए 4 करोड़ 80 लाख की डीपीआर बनाकर सरकार को भेज दी है। जिसका अब तक बजट पास नहीं हो सका है। और कुष्ठ रोगियों के उत्थान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुपालन के लिए उन्होंने सरकार को पत्र भेजा है। जिसमें अभी तक सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया। जिस पर कोर्ट ने दो जनवरी से पहले निर्णय लेने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 जनवरी की तिथि नियत की है।