सरकार झूठे वादे कर आशाओं को कर रही गुमराह

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 32वें दिन गुरूवार को तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आशाओं के आंदोलन की अनदेखी कर रही है। सरकार झूठे वादे कर आशाओं को गुमराह कर रही है और आशाओं में फूट डालने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों को लेकर शासनादेश जारी नहीं होगा तब तक कार्यबहिष्कार जारी रहेगा।
तहसील परिसर में आयोजित सभा में आशाओं ने सरकार पर उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह पिछले 32 दिन से मांगों को लेकर धरना दे रहे है, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि आशा कर्मचारी विषम परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा रही हैं। मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर पूर्व में भी सरकार से कई बार मांग की गई। इसके बावजूद भी सरकार अपने अड़ियल रवैये पर स्थिर है। जो कि प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे कर्मचारियों में खासा रोष भी पनप रहा है। यूनियन की दुगड्डा ब्लाक अध्यक्ष प्रभा चौधरी ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, सहित 12 सूत्रीय मांगें पूरी करने की मांग प्रदेश सरकार से की। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, विमला जोशी, मधु ममगांई, गोदाम्बरी, नीलम कुकरेती, सुमित्रा भट्ट, कल्पना बिष्ट, हेमलता, सरोज, संगीता नैथानी, सुरभि, बबीत, रोशनी जदली, कविता, सरोज जदली आदि शामिल थे।

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